मध्यप्रदेश : विधानसभा चुनाव पर चर्चा के लिए कमलनाथ के घर रात्रिभोज पर जुटे कांग्रेस के शीर्ष नेता

पूर्व मुख्यमंत्री ने पूर्व मंत्रियों सहित कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के बारे में सर्वेक्षण रिपोर्ट भी साझा की और उन्हें जनता के साथ मिलकर सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा.

मध्यप्रदेश : विधानसभा चुनाव पर चर्चा के लिए कमलनाथ के घर रात्रिभोज पर जुटे कांग्रेस के शीर्ष नेता

सूत्रों ने कहा कि इरादा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा करने का था.

भोपाल:

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 2023 के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को यहां पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ के आधिकारिक आवास पर एकत्र हुए. सूत्रों ने बताया कि नाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी और अरुण यादव तथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह रात्रिभोज में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इरादा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा करने का था.

उन्होंने कहा कि कमलनाथ ने कांग्रेस नेताओं को अपनी और दिग्विजय सिंह की पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हाल की बैठक के बारे में जानकारी दी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सेवाएं लेने की योजना भी साझा की.

सूत्रों ने कहा कि कमलनाथ ने उपस्थित लोगों से कहा कि सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा है कि वे केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाएं और महंगाई और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी जैसे मुद्दों पर विरोध करें, ताकि भाजपा की ‘‘विभाजनकारी राजनीति'' का मुकाबला किया जा सके.

पूर्व मुख्यमंत्री ने पूर्व मंत्रियों सहित कांग्रेस के मौजूदा विधायकों के बारे में सर्वेक्षण रिपोर्ट भी साझा की और उन्हें जनता के साथ मिलकर सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा. सूत्रों ने कहा, ‘‘लगभग 25-30 कांग्रेस विधायकों पर खतरा मंडरा रहा है.'' उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि कमलनाथ ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से उनकी स्थिति के बारे में बताया था.

मध्य प्रदेश में 2003 से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस ने 2018 में सरकार बनाई थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि, 15 महीने बाद तत्कालीन पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार गिर गई. सिंधिया ने छह मंत्रियों सहित अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए और राज्य में फिर से भाजपा सरकार की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया.

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