कोरोना वायरस संक्रमण ने नौकरियां छीनीं, अब गुजर-बसर के लिए पीएफ का सहारा

बेरोजगारी या वेतन कटौती की मार झेल रहे कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि खातों में जमा पूंजी निकालकर काम चलाना पड़ रहा है.

कोरोना वायरस संक्रमण ने नौकरियां छीनीं, अब गुजर-बसर के लिए पीएफ का सहारा

ईपीएफ के भरोसे कट रही है कर्मचारियों की जिंदगी

भोपाल:

कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण और लॉकडाउन (Lockdown) ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी है. यही वजह है कि कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि, यानी ईपीएफ (EPF) खातों में जमा पूंजी निकालकर काम चलाना पड़ा. ये वे कर्मचारी हैं जिनकी कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण नौकरी चली गई है या वेतन में कटौती की गई है. मध्यप्रदेश में ऐसे कर्मचारियों की तादाद हजारों में है.

52 साल के द्वारका प्रसाद बीएचईएल में लगभग 20 साल नौकरी कर चुके हैं. ठेके पर काम करते थे, कोरोना आते ही नौकरी चली गई. अब भविष्य निधि के पैसे निकालने आए ताकि खर्च निकल सके. वे कहते है कि ''जिस दिन से लॉकडाउन हुआ तभी से बैठा हूं. 9000 तनख्वाह मिलती थी. पढ़ाई लिखाई बच्चों की करानी है, बच्चों की कॉपी किताब कैसे खरीदें, इसलिए पीएफ निकाल रहे हैं. खाने पीने की समस्या है. 5 महीने से घर बैठे हैं. पत्नी के गहने रखकर खा रहे हैं. नौकरी मिल नहीं रही, 20,000 का कर्ज है.''

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सुभाष यादव 38 साल के हैं. वे स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर थे. पिछले महीने नौकरी गई. उन्होंने कहा कि ''बच्चों की फीस भरनी है. दोस्तों से कर्ज लिया है. सोच रहे हैं, पीएफ के पैसे मिलें तो उधार चुकता हो. मेरी तनख्वाह 9300 रु थी. पीएफ 1200 रु कटता था. मां की तबीयत खराब है, मकान का किराया देना है. उधारी 30000 हो गई. प्राइवेट नौकरी करने वाला क्या करे, कर्जा ब्याज पर लिया है.''

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वेंकटेश की कुछ महीनों पहले शादी हुई. वे 3-4 कंपनियों में काम कर चुके हैं. फिलहाल नौकरी है नहीं. वे भी चाहते हैं कि पीएएफ के पैसे मिल जाएं तो जिंदगी थोड़ी आसान हो. वे  कहते हैं कि ''लॉकडाउन में पेमेंट भी नहीं मिलता था. अभी 3 महीने हुए हैं शादी के लिए दोस्त से उधार लेकर चला रहे हैं. फ्रेंड सर्किल में कब मांग लें, वापस करना पड़ेगा.''
     
हालांकि लोगों की तकलीफ के बीच ईपीएफओ कार्यालय ने लोगों को जल्द मदद पहुंचाई है. क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल ने कुल 28826 Covid-19 एडवांस क्लेम का निपटारा किया. इस श्रेणी में लगभग 59.10 करोड़ रु की राशि का भुगतान किया गया. वहीं पूरे मध्यप्रदेश क्षेत्र में कुल 93,954 कोविड एडवांस क्लेम में 186 करोड़ की रकम का भुगतान किया गया.
     
इसी दौरान पूरे मध्यप्रदेश क्षेत्र में अप्रैल से अगस्त 2020 तक कुल 2,33,034 दावों का निराकरण किया गया जिनमें ऑनलाइन के माध्यम से 2,30,052 दावों का निपटारा किया गया. पूरे मध्य प्रदेश में 98.72% दावों में भुगतान हो गया.  प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मार्च में भोपाल जोन में मार्च में 1500,अप्रैल में 1559,मई में 1624, जून में 1638, जुलाई में 1512 और अगस्त में 208 संस्थानों को फायदा मिला.
      
दावा 53 हजार 687 पेंशनधारकों के खातों में छह करोड़ रुपये डालने का भी है, लेकिन राजगढ़ के दिलीप सिंह जो कपड़ा मिल में काम करते थे कह रहे हैं सालों से पेंशन रुकी है, निराकरण नहीं हो रहा है. वहीं मीरा यादव के पति मार्केफेड में थे.  वे भोपाल के करौंद इलाके में रहती हैं. वे कहती हैं कि पति रहे नहीं, ढाई साल से पेंशन नहीं मिली.
     
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के बाद कई ऐलान किए थे. इसमें भी ईपीएफओ खाताधारकों को राशि निकालने की सहुलियत दी गई थी, लेकिन ये हड़बड़ी देखकर पता लगता है अर्थव्यवस्था में कितनी बड़ी गड़बड़ी हो चुकी है.