मध्य प्रदेश में एक और कोरोना योद्धा (Corona Warrier) की मौत हो गई है. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शुभम उपाध्याय (Dr. Shubham Upadhyay) ने इलाज के दौरान भोपाल के चिरायु अस्पताल में दम तोड़ दिया. शुभम पिछले 6 महीने से सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भर्ती करोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे, इसी दौरान वो भी संक्रमित हो गये थे. डॉ उपाध्याय ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से मार्च 2020 में डिग्री पूरी की और उन्हें सागर के कोविड सेंटर में ही पहली नियुक्ति मिली थी. 28 अक्टूबर को शुभम वायरस से संक्रमित हुए, कुछ दिनों तक उनका वहीं इलाज चला तबीयत बिगड़ने पर 10 नवंबर को उन्हें भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया था.
A 30-year-old young doctor from Bundelkhand medical college, Sagar Dr Shubham Upadhyay succumbed to COVID-19 after battling the virus infection for almost a month at Bundelkhand medical college and then at Chirayu Hospital in Bhopal. pic.twitter.com/Dwa3YMZNdd
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) November 25, 2020
साथियों ने आरोप था कि डॉ उपाध्याय के इलाज के लिये इंजेक्शन तक खुद खरीदना पड़ा! pic.twitter.com/FcTWA0ftxq
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) November 25, 2020
पिता ने कुछ दिनों पहले गुजारिश की थी वो तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हैं बेटे के इलाज का खर्च अब नहीं उठा पाएंगे, सरकारी मदद मिली लेकिन देर से! यही नियति है #CoronaWarrior की? @ChouhanShivraj @vinodkapri #coronavirus #COVID19 #CovidVaccine pic.twitter.com/EJKsqqkxgN
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चिरायु अस्पताल के डॉ अजय गोयनका ने कहा कि अस्पताल में भर्ती करने के वक्त ही उनके फेफड़े लगभग 96% संक्रमित थे. उन्हें फेफड़े के प्रत्यारोपण के लिए चेन्नई जाने की सलाह दी गई थी ताकि उन्हें बचाया जा सके. पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को डॉ.उपाध्याय के बारे में सूचित किया था जिन्होंने अधिकारियों को तुरंत उनके इलाज के लिए आवश्यक राशि मंजूर करने का निर्देश दिया था, लेकिन चेन्नई में आए तूफान की वजह से उन्हें एयरलिफ्ट कर फौरन वहां ले जाना संभव नहीं हुआ और डॉ. शुभम ने दम तोड़ दिया.
उनके सहयोगी डॉ उमेश पटेल ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाया था कि अपनी ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने के बावजूद डॉ शुभम को महंगे इंजेक्शन, अपने खर्चे पर खरीदना पड़ा क्योंकि सरकार इसकी व्यवस्था नहीं करती, ऐसे में उनकी और उनके परिवार की जितनी भी जमा पूंजी थी सभी उन्होंने खर्च कर दी. उनके पिता ने भी कुछ दिनों पहले वीडियो जारी कर कहा था कि वो तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हैं, इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते इसलिये अब सरकार उनकी मदद करे.
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