- रामविलास दास वेदांती का निधन मध्य प्रदेश के रीवा में उपचार के दौरान हुआ, जिससे संत समाज में शोक व्याप्त है
- वे 12वीं लोकसभा में यूपी के प्रतापगढ़ से भाजपा के सांसद चुने गए थे और पूर्व में मछली शहर से भी सांसद रहे हैं
- वे विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आरोपित थे, लेकिन सीबीआई विशेष अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी किया था
राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का निधन हो गया है. उन्होंने मध्य प्रदेश के रीवा में अंतिम सांसें ली, जहां उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन की खबर मिलते ही अयोध्या और पूरे संत समाज में गहरा शोक छा गया है. साथ ही राजनीतिक जगत में भी उनके चले जाने से भारी दुख का माहौल है. दरअसल, रामविलास वेदांती पिछले दिनों रीवा के दौरे पर गए थे. इसी दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान सोमवार दोपहर उनका निधन हो गया.
रामविलास वेदांती का पार्थिव शरीर जल्द ही उनके उत्तराधिकारियों और सहयोगियों द्वारा अयोध्या ले जाया जाएगा. अयोध्या पहुंचने के बाद उनका अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार किया जाएगा. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की संभावना है.
विवादित ढांचा विध्वंस का केस वेदांती पर भी चला
रामविलास वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गुढ़वा गांव में हुआ था. वे 12वीं लोकसभा में यूपी के प्रतापगढ़ से भाजपा के सांसद चुने गए थे. इससे पहले 1996 में वे मछली शहर सीट से भी सांसद रहे. उनके राजनीतिक जीवन और धार्मिक नेतृत्व ने हमेशा समाज को मार्गदर्शन दिया. 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के मामले में जिन नेताओं पर मुकदमा चला, उनमें डॉ. वेदांती का नाम भी शामिल था, हालांकि सीबीआई की विशेष अदालत ने अंत में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
जन्मभूमि आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया
रामविलास वेदांती ने जन्मभूमि आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी. सांसद रहते हुए उन्होंने संसद में भी राम मंदिर निर्माण की आवाज उठाई और सड़कों पर भी आंदोलन का नेतृत्व किया.
हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए आवाज उठाई
डॉ. वेदांती सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए आवाज उठाई. उनका जीवन राम मंदिर आंदोलन और समाज सेवा के लिए समर्पित रहा. उन्होंने न केवल संसद में, बल्कि समाज के हर वर्ग तक अपनी आवाज पहुंचाई. उनके नेतृत्व में कई लोग प्रेरित हुए और राम जन्मभूमि आंदोलन में डॉ. वेदांती का नाम हमेशा याद रखा जाएगा. वेदांती का निधन निश्चित रूप से एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनके कार्य और योगदान सदैव लोगों के बीच रहेंगे.
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