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This Article is From Sep 28, 2020

लोन मोरेटोरियम मामला : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक हफ्ता और दिया, आखिरी प्लान के साथ आने को कहा

लोन मोरेटोरियम अवधि मामले में सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई टल गई है. केंद्र सरकार ने और समय मांगा है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 5 अक्टूबर तक टाल दी है. केंद्र ने सोमवार को कोर्ट से कहा कि उसका निर्णय एक एडवांस स्थिति में है. उसे अदालत के समक्ष ब्योरा रखने के लिए कुछ और समय चाहिए.

लोन मोरेटोरियम मामला : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक हफ्ता और दिया, आखिरी प्लान के साथ आने को कहा
सुप्रीम कोर्ट में लोन मोरेटोरियम का मामला फिर टल गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

लोन मोरेटोरियम अवधि मामले (Loan Moratorium Period Case) में सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई टल गई है. केंद्र सरकार ने और समय मांगा है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 5 अक्टूबर तक टाल दी है. केंद्र ने सोमवार को कोर्ट से कहा कि उसका निर्णय एक एडवांस स्थिति में है. उसे अदालत के समक्ष ब्योरा रखने के लिए कुछ और समय चाहिए. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ चीजें उनके हाथ से बाहर हैं. केंद्र ने समस्या के समाधान के लिए सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल नियुक्त किया है.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि वो विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस योजना लेकर अदालत आए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है. अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए इस दौरान सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं. तब तक 31 अगस्त तक NPA ना हुए लोन डिफॉल्टरों को NPA घोषित ना करने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा.

केंद्र ने कहा था कि उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है. राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और चिंताओं की जांच की जा रही है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है.

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हरीश साल्वे इंडियन बैंक एसोसिएशन के लिए पेश हुए. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई ठोस फैसला नहीं लिया है. एक नया प्रस्ताव आया है और जिसे पंजीकृत किया जाना है और मानदंडों को प्रभावित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत उधारकर्ता के लिए, आम आदमी के लिए स्टेट बैंक ने दिशानिर्देशों को प्रभावित किया. इसपर सुनवाई कर रहे जस्टिस भूषण ने पूछा कि 'इसे कौन आगे बढ़ाएगा?' इसपर साल्वे ने कहा कि 'वित्त मंत्रालय. यह आरबीआई के स्तर पर किया गया है.'

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि इस फैसले से लोन लेने वालों पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि उनसे चक्रवृद्धि ब्याज यानी कंपाउंडिंग इंट्रस्ट (Compounding Interest) लिया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा यह योजना दोगुनी मार है क्योंकि वे हमें चक्रवृद्धि ब्याज चार्ज किया जा रहा है. ब्याज पर ब्याज वसूलने के लिए बैंक इसे डिफॉल्ट मान रहे हैं. यह हमारी ओर से डिफ़ॉल्ट नहीं है. सभी सेक्टर बैठ गए हैं लेकिन RBI चाहता है कि बैंक कोविड-19 के दौरान मुनाफा कमाए और यह अनसुना है.'

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया, 'RBI देश से लूटे गए करोड़ों रुपयों से नहीं जागा. RBI वैधानिक नियामक है, बैंकों का एजेंट नहीं. ब्याज पर ब्याज बिलकुल गलत है और इसे चार्ज नहीं किया जा सकता. आईबीसी को उद्योग को राहत देने के लिए निलंबित किया गया लेकिन उधारकर्ताओं के बारे में क्या?' वहीं रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए CREDI ने कहा कि 'ब्याज वसूलने से NPA (Non-Performing Assests) में वृद्धि हो सकती है. यदि ब्याज माफ नहीं किया जा सकता है, तो कम से कम इसे उस स्तर तक कम करें जिस पर बैंक जमाकर्ताओं का भुगतान करते हैं. कम से कम 6 महीने तक की मोहलत दी जाए.'

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दरअसल, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि लोन मोरेटोरियम दो साल के लिए बढ़ सकता है. लेकिन यह कुछ ही सेक्टरों को दिया जाएगा. मेहता ने कोर्ट में उन सेक्टरों की सूची सौंपी है, जिन्हें आगे राहत दी जा सकती है.

बता दें कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से आरबीआई ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी. बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया. आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा. लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा.

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