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This Article is From Jan 17, 2019

'स्वच्छ कुंभ' के योगी सरकार के दावों की खुली पोल: पहले ही दिन हजारों टॉयलेट खराब, खुले में शौच करने को मजबूर श्रद्धालु

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर कुंभ के पहले शाही स्नान के दौरान बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच करते देखे गए. 

कुंभ मेले में 1,20,000 शौचालयों की व्यवस्था का दावा

प्रयागराज:

स्वच्छ कुंभ का दावा करते हुए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और केंद्र सरकार ने यहां 1,20,000 शौचालय बनाने की बात का व्यापक रूप से प्रचार किया था, लेकिन आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समागम के पहले ही दिन हजारों शौचालय बेकार पड़े मिले और कई श्रद्धालु खुले शौच करते दिखाई दिए.  कुंभ प्रशासन ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कहा, "इस बार कुंभ मेले में स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया है. बीते सालों में शौचालय की कमी के चलते लोगों को मजबूर होकर खुले शौच करना पड़ रहा था, लेकिन इस बार 1,20,000 शौचालय बनाए गए हैं और स्वच्छता बनाए रखने के लिए सफाईकर्मियों की संख्या दोगुनी कर दी गई है. पिछले कुंभ मेले में सिर्फ 34,000 शौचालय थे." स्वच्छता के यह दावे मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की अहमियत के मद्देनजर किए गए हैं और विज्ञापनों के माध्यम से इसका खूब प्रचार किया गया था. लेकिन, मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर मंगलवार को कुंभ के प्रथम शाही स्नान के दौरान बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच करते देखे गए. 

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इस तरह के कई दृश्य त्रिवेणी संगम के पास भी देखे गए. गंगा, यमुना और सरस्वती (पौराणिक नदी) के मिलन को त्रिवेणी संगम कहते हैं, जहां श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं.  कुंभ मेले के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी खजाने से 4,200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद (अब तक का सर्वाधिक खर्च) भी स्वच्छता के ऐसे हालात पर सवाल उठते हैं. शहर की गलियों और घाटों के पास शौचालयों को देखकर लगता है कि तैयारी की गई है लेकिन पानी की कमी के कारण कई शौचालय काम नहीं कर रहे हैं या उनमें गंदगी अटी पड़ी है. कई शौचालयों के प्लास्टर और सीमेंट उखड़े मिले जिसके कारण वे इस्तेमाल के योग्य नहीं निकले. अधिकारियों के अनुसार, कुंभ मेले के आगाज पर करीब दो करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई, लेकिन इस आधिकारिक आंकड़े का खंडन भी किया जा रहा है. 

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कुछ लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बाद हजारों शौचालय उपयोग करने के लायक नहीं रह गए. शौचालयों की बदहाली की मुख्य वजह पानी और सफाईकर्मियों का अभाव है, जिससे योजना की विफलता जाहिर होती है. देश के ग्रामीण इलाकों से आने वाले अधिकांश गरीब श्रद्धालु स्नान करने के लिए सीधे घाटों का रुख कर रहे हैं. लेकिन, इन इलाकों में शौचालयों की संख्या शहर की गलियों के मुकाबले काफी कम है. कुंभ मेले के एसडीएम राजीव राय से आईएएनएस ने जब इस पर सवाल किया तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि समस्या है. उन्होंने कहा कि आगामी महत्वपूर्ण तिथियों को समस्या का समाधान करने के उपाय किए जाएंगे.  कुंभ की आगामी महत्वपूर्ण तिथियों को श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ने का अनुमान है. 

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राय ने कहा, "मैं स्वीकार करता हूं कि कुछ इलाकों में शौचालय पूर्ण रूप से ठीक नहीं हैं, लेकिन सुधार के उपाय किए जा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर हम ठेकेदारों को बदलेंगे."उन्होंने कहा कि सारा प्रबंध मुश्किल से एक महीने में किया गया है. स्थानीय लोगों ने कहा कि शौचालयों की संख्या बढ़ाने के बजाय प्रशासन मौजूदा संख्या की आधी संख्या में भी सफाई करवाकर बेहतर प्रबंध कर सकता था. स्थानीय निवासी हिमांशु मिश्रा ने कहा, "अगर शौचालय एक होगा और इस्तेमाल करने वाले कई लोग होंगे तो हर कोई अगले के लिए शौचालय को साफ अवस्था में छोड़ने के लिए सतर्क रहेगाय लेकिन, यहां स्थिति ऐसी है कि शुरुआत में आगंतुकों से ज्यादा शौचालय रहे. इसलिए किसी ने इसकी परवाह नहीं की और जब सच में शौचालयों के उपयोग का समय आया तो वे इतने गंदे हो गए कि इस्तेमाल करने योग्य नहीं रह गए. " (इनपुट IANS से)

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