यह ख़बर 29 अक्टूबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

आईएसी की कोर कमेटी बैठक में लिए गए निर्णय

खास बातें

  • सरकार जन लोकपाल के मुद्दे से देश का ध्यान भटकाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर कोर कमेटी के सदस्यों पर हमले कर रही है।
गाजियाबाद:

जन लोकपाल बिल पारित कराने का यह आंदोलन करोड़ों लोगों का आंदोलन है। अन्ना हजारे के नेतृत्व में कमेटी के हर सदस्य और कार्यकर्ताओं ने देश के करोड़ों लोगों के साथ मिलकर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है। अतः कोर कमेटी को भंग करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सरकार जन लोकपाल के मुद्दे से देश का ध्यान भटकाने के लिए और आंदोलन की छवि खराब करने की मंशा से सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर कोर कमेटी के सदस्यों पर हमले कर रही है। सरकार द्वारा कोर कमेटी पर किए जा रहे हमलों का हम मजबूती से जवाब देंगे और देश का ध्यान लोकपाल के मुद्दे से नहीं भटकने देंगे। चुनाव में जन लोकपाल के लिए अभियान : कोर कमेटी, वर्किंग कमेटी द्वारा हिसार में लोकपाल बिल को चुनावी मुद्दा बनाने के निर्णय का पूरी तरह से समर्थन करती है। इस निर्णय का यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि आंदोलन कांग्रेस के विरुद्ध या किसी पार्टी के पक्ष में है। हिसार में अभियान का मकसद यह चुनौती देना था कि जो पार्टी जन लोकपाल बिल का समर्थन नहीं करेगी, आंदोलन की तरफ से जनता से उस पार्टी को वोट न देने की अपील की जाएगी क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने समर्थन पत्र नहीं दिया था हालांकि केंद्र सरकार में होने के नाते सबसे ज्यादा उसकी जवाबदेही बनती थी... इसलिए उसके उम्मीदवार को वोट न देने की पहल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। कोर कमेटी यह महसूस करती है कि यह एक सही और सफल निर्णय था। बैठक में उपस्थित सभी सदस्य इसका सर्वसम्मति से अनुमोदन करते हैं। हिसार में अभियान खत्म होने के बाद ही 10 अक्टूबर को प्रधानमंत्री ने अन्ना को आश्वासन पत्र भेजा। अगर यह आश्वासन पत्र पहले आ जाता तो हिसार में जाने की आवश्यकता न पड़ती। कोर कमेटी केंद्र सरकार से अपील करती है कि वह अपनी जि़म्मेदारी को निभाते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में जन लोकपाल काननू को पास कराए। अगर ऐसा नहीं होता है तो पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान भी आंदोलन इसी नीति को अपनाएगा। बैंक खाता एवं सचिवालय : पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन (पीसीआरएफ) संस्था पिछले पांच साल (2006) से अस्तित्व में है। अक्टूबर 2010 से ही आंदोलन के सचिवालय और बैंक खाते के संचालन की जिम़्मेदारी पीसीआरएफ ही निभाता रहा है। रालेगन गांव में हुई कोर कमेटी की बैठक में यह तय हुआ था कि पीसीआरएफ यह जिम़्मेदारी आगे भी निभाता रहेगा। कोर कमेटी इन आरोपों को खारिज करती है कि आंदोलन के लिए मिली सहयोग राशि को पीसीआरएफ के खाते में रखकर कोई गडब़डी़ की गई है। आंदोलन को लिए आर्थिक सहयोग देने वाले साथियों से तमाम चैक पीसीआरएफ के नाम से ही लिए जाते रहे हैं और नकद राशि की प्राप्ति रसीद पर भी पीसीआरएफ का नाम होता है। चन्दे और उसके खर्च का पूरा विवरण आंदोलन की वेबसाइट पर उपलब्ध है। आंदोलन के लिए हमेशा न्यूनतम जरू़रत की सहयोग राशि ही ली जाती है। इसलिए रामलीला मैदान में हुए अनशन के दौरान कुछ दिन में ही चन्दा लेने का काम बन्द भी कर दिया गया था।


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