प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
कश्मीर में एक बार फिर से आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए विरोध प्रदर्शन करने के लिए कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हड़ताली कैलेंडर जारी कर दिया है. यह कार्यक्रम 9 से 16 सितंबर तक के लिए है. यानि कश्मीर में और एक हफ्ते तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे.
शुक्रवार को जिला स्तर पर आजादी के लिए मार्च का ऐलान किया गया है. शुक्रवार 16 सितंबर को कोई छूट नहीं दी गई है लेकिन शनिवार यानि 10 सितंबर से 15 सितंबर तक शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक छूट दी गई है. पिछले 27 सालों में 11 हजार दिनों की हड़तालें और बंद कराने का क्रेडिट सैयद अली शाह गिलानी को जाता है.
इस साल हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद यह नए और आक्रामक रूप में अपना असर दिखा रहा है. पिछले दो महीने के दौरान हुई हड़ताल, हिंसक प्रदर्शनों और सुरक्षाबलों की कार्रवाईयों में करीब 75 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. दस हजार से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं. टूरिज्म और बागवानी का व्यवसाय ठप हो चला है. करीब 6000 करोड़ का नुकसान हो चुका है. न तो कश्मीर से सेव बाहर जा रहा है और न अखरोट. वैसे आम लोगों को यह भी लग रहा है कि अगर यह और थोड़े दिनों तक जारी रहा तो कश्मीर में भूख से मौतें निश्चित होंगी और आर्थिक तौर पर कश्मीरियों की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी.
शुक्रवार को जिला स्तर पर आजादी के लिए मार्च का ऐलान किया गया है. शुक्रवार 16 सितंबर को कोई छूट नहीं दी गई है लेकिन शनिवार यानि 10 सितंबर से 15 सितंबर तक शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक छूट दी गई है. पिछले 27 सालों में 11 हजार दिनों की हड़तालें और बंद कराने का क्रेडिट सैयद अली शाह गिलानी को जाता है.
इस साल हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद यह नए और आक्रामक रूप में अपना असर दिखा रहा है. पिछले दो महीने के दौरान हुई हड़ताल, हिंसक प्रदर्शनों और सुरक्षाबलों की कार्रवाईयों में करीब 75 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. दस हजार से ज्यादा लोग जख्मी हो गए हैं. टूरिज्म और बागवानी का व्यवसाय ठप हो चला है. करीब 6000 करोड़ का नुकसान हो चुका है. न तो कश्मीर से सेव बाहर जा रहा है और न अखरोट. वैसे आम लोगों को यह भी लग रहा है कि अगर यह और थोड़े दिनों तक जारी रहा तो कश्मीर में भूख से मौतें निश्चित होंगी और आर्थिक तौर पर कश्मीरियों की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी.