
- किश्तवाड़ के चसोटी गांव में 14 अगस्त को बादल फटने से आई आपदा में लगभग साठ लोगों की मौत हुई है और कई लापता हैं
- बादल फटने के समय गांव के लगभग डेढ़ से दो सौ लोग मौजूद थे, जो अचानक आई तेज आवाज से दहशत में आ गए थे
- पहाड़ी इलाके के कारण सैलाब की सूचना समय पर नहीं मिल सकी, जिससे लोग अपनी जान बचाने में असमर्थ रहे
जम्मू- कश्मीर के किश्तवाड़ के चसोटी गांव में बादल फटने से मची तबाही ने कई जिंदगियों को निगल लिया. बता दें कि 14 अगस्त को यह आपदा आई थी और इसके बाद से घटनास्थल पर मलबे का अंबार लगा हुआ है. किश्तवाड़ हादसे में अबतक 60 लोगों की मौत की खबर है. वहीं बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं. इसी बीच लोगों ने अपनी आपबीती भी बताई है, जिसे सुन कर आपके भी रोंकेट खड़े हो जाएंगे.
इसी बीच एक व्यक्ति ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, "150 से 200 लोग थे... हम सभी जा रहे थे और तभी अचानक बहुत तेज की आवाज आई और मैंने भागना शुरू किया... फिर कुछ देर बाद मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मुझे कोई भी नजर नहीं आया."

एक अन्य ने कहा, "सैलाब का क्या पता, कब आ जाए? अचानक से बाढ़ आ गई और इन लोगों को पता ही नहीं चला. गांववाले अपने कामों में लगे हुए थे, कोई अपनी सवारी मांग रहा था... और किसी को भी पता नहीं चला... ये पहाड़ी ढकी हुई है और इस वजह से पीछे से कुछ नहीं दिखता है, जिसके कारण लोगों को सैलाब की भनक तक नहीं लगी."
तीसरे ने कहा, "किश्वतवाड़ में एक नया पुल बन रहा था और इस घटना में वो पुल भी बह गया है."
चौथे ने बताया, "श्रद्धालु मचैल माता के दर्शन के बाद आ रहे थे कोई गुलाबगढ से और अन्य अपने घरों से आ रहे थे और तभी अचानक सैलाब आ गया."
राहत बचाव कार्य जारी

मलबे के ढेर के बीच फंसी जिंदगी (लोगों) को ढूंढ़ने के लिए लागातर राहत और बचाव कार्य जारी है. उम्मीद जताई जा रही है कि रेस्क्यू टीम मलबे के बीच से अभी भी कुछ लोगों को जिंदा निकाल सकते हैं. इस आपता में 60 लोगों की मौत की खबर है जबकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं. जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को मौके का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने NDTV से खास बात की थी. उन्होंने कहा था कि हम पीड़ित परिजनों की हर संभव मदद करेंगे.
पुल से लेकर बड़े-बडे़ पेड़ तक सब बह गए
मौके पर अभी इस आपता के भयावह निशान मौजूद हैं. ये आपदा कितनी बड़ी थी इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब एनडीटीवी की टीम मौके पर पहुंची तो हादसे वाली जगह पर हर तरफ मौत का मंजर बिखरा हुआ था. हर तरफ मलबा ही मलबा था. क्या पुल, क्या बड़े-बड़े पेड़ और क्या ही कोई इमारत, सब ताश के पत्तों की तरह मलबे के ढेर में तब्दील हो चुके थे. ये मंजर बेहद खौफनाक था.
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