सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मामले की सुनवाई होगी.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार के बाद अब करणी सेना ने फिल्म पद्मावत पर बैन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 'पद्मावत' के खिलाफ करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में मांग की गई है कि 'पद्मावत' फिल्म पर बैन लगाया जाए. वकील एपी सिंह ने याचिका में कहा है कि फिल्म निर्माताओं ने इतिहास के साथ छेडछाड़ की है. कई राज्यों में फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. राज्यों में हिंसा हो रही है. बसों को जलाया जा रहा है. उन्हें भी केस में पक्षकार बनाया जाए.
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याचिका में कहा गया है कि पद्मावत में शुरुवाती संवाद बदले गए न की चरित्र. याचिका में कहा गया कि इस फिल्म में इतिहास को तोड़मरोड़ कर असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देकर समुदायों के बीच विवाद पैदा कर समाज के सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की गई है. निर्माता यह जानते हैं कि फिल्म की रिलीज से भावनाए भड़केंगी और संपत्तियों को नुकसान पहुंचेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि 'राइट टू एक्सप्रेसन' की आड़ में इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और न ही ऐसा साहित्य बनाया जा सकता है जो सही नहीं है. तीन इतिहासकारों ने जिन्होंने इस फिल्म को देखा है वह भी इसके खिलाफ हैं. गुजरात के मल्टीप्लेस के मालिकों ने फिल्म को रिलीज न करने का फैसला किया है. वहीं, देशभर में इस फिल्म के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. गाड़ियों में आग लगाई जा रही है. मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी.
VIDEO : क्यों हो रहा है फिल्म 'पद्मावत' का विरोध?
गौरतलब है कि फिल्म 'पद्मावत' पर बैन लगाने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. दोनों राज्य सरकारों ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपने पिछले आदेश पर पुनर्विचार की गुजारिश की है. दोनों राज्यों की ओर से दी गई पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को ही सुनवाई करेगा. दोनों राज्यों की मांग है कि इस फिल्म को रिलीज करने के फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए, क्योंकि इससे कानून व्यवस्था भंग हो सकती है.
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याचिका में कहा गया है कि पद्मावत में शुरुवाती संवाद बदले गए न की चरित्र. याचिका में कहा गया कि इस फिल्म में इतिहास को तोड़मरोड़ कर असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देकर समुदायों के बीच विवाद पैदा कर समाज के सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की गई है. निर्माता यह जानते हैं कि फिल्म की रिलीज से भावनाए भड़केंगी और संपत्तियों को नुकसान पहुंचेगा.
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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि 'राइट टू एक्सप्रेसन' की आड़ में इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और न ही ऐसा साहित्य बनाया जा सकता है जो सही नहीं है. तीन इतिहासकारों ने जिन्होंने इस फिल्म को देखा है वह भी इसके खिलाफ हैं. गुजरात के मल्टीप्लेस के मालिकों ने फिल्म को रिलीज न करने का फैसला किया है. वहीं, देशभर में इस फिल्म के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. गाड़ियों में आग लगाई जा रही है. मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी.
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गौरतलब है कि फिल्म 'पद्मावत' पर बैन लगाने की मांग को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. दोनों राज्य सरकारों ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपने पिछले आदेश पर पुनर्विचार की गुजारिश की है. दोनों राज्यों की ओर से दी गई पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को ही सुनवाई करेगा. दोनों राज्यों की मांग है कि इस फिल्म को रिलीज करने के फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए, क्योंकि इससे कानून व्यवस्था भंग हो सकती है.