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This Article is From Jan 06, 2014

न्यायमूर्ति गांगुली ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख पद से दिया इस्तीफा

न्यायमूर्ति गांगुली ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख पद से दिया इस्तीफा
कोलकाता:

भारी दबावों का सामना कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली ने आज यहां पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया। उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज रात यह जानकारी दी।

उन्होंने एक लॉ इंटर्न के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद यह कदम उठाया है।

सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति गांगुली ने यह इस्तीफा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन से यहां राजभवन में मुलाकात के दौरान सौंपा। न्यायमूर्ति गांगुली की राज्यपाल के साथ करीब 45 मिनट तक मुलाकात हुई।

यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य मानवाधिकार आयोग के प्रमुख के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, मैं प्रतिक्रिया नहीं दूंगा। पूर्व एटार्नी जनरल सोली सोराबजी ने दिल्ली में कहा, यह अच्छी बात है कि उन्होंने मुझसे बात करने के एक दिन बाद इस्तीफा दे दिया। सोराबजी ने कहा था कि न्यायमूर्ति गांगुली ने टेलीफोन पर उनसे कहा था कि वह आयोग के प्रमुख पद से इस्तीफे के बारे में सोच रहे हैं।

उनके इस्तीफे की जोरशोर से मांग कर रही अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह काफी समय पहले ही हो जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली द्वारा किया गया यह सही निर्णय है।

न्यायमूर्ति गांगुली का यह निर्णय केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा बृहस्पतिवार को किए गए फैसले के बाद आया है। कैबिनेट ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट से राय मांगे जाने (प्रेसिडेंशियल रिफरेंस) के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस कदम को गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से हटाये जाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा था।

सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों वाली एक समिति ने पाया कि इंटर्न के लिखित एवं मौखिक बयान से प्रथम दृष्टया इस बात का खुलासा होता है कि न्यायाधीश ने उसके (पीड़िता के) साथ 24 दिसंबर 2012 को दिल्ली के ली मैरिडियन होटल में ‘अशोभनीय आचरण (यौन प्रवृत्ति का अशोभनीय मौखिक) गैर मौखिक आचरण)’ किया।

न्यायमूर्ति गांगुली ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि कुछ ताकतवर हित उनकी छवि बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने चंद फैसले किए थे। भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम को पिछले माह लिखे पत्र में न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा कि उन्होंने लॉ इंटर्न को कभी परेशान नहीं किया तथा न ही कभी उसके या किसी अन्य महिला इंटर्न के प्रति आवंछित पहल की।

इससे पहले आज न्यायमूर्ति गांगुली अपने कार्यालय गए और उन्होंने एक स्कूल अध्यापिका के कथित उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई की।

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