जम्‍मू-कश्‍मीर : SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 70 साल के बाद अधिकार छीने नहीं गए बल्कि प्रदान किए गए

मामले पर सुनवाई के दौरान SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मैं उन अधिकारों को उन्‍हें दिखाना चाहता हूं जो छीने नहीं गए बल्कि पहली बार प्रदान किए गए. यह उनकी सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिए है.

जम्‍मू-कश्‍मीर : SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- 70 साल के बाद अधिकार छीने नहीं गए बल्कि प्रदान किए गए

SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 1947 से हम इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं.

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में इंटरनेट व अन्य प्रतिबंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए SG तुषार मेहता ने कहा कि सरकार का मौलिक कर्तव्य नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा करना है. उन्‍होंने कहा कि 70 साल के बाद अधिकार छीने नहीं गए बल्कि प्रदान किए गए. SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 5 अगस्‍त से हम आंतरिक विद्रोह का सामना नहीं कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि हम सीमापार आतंकवाद के शिकार हैं. वे डिजिटल रूप से भी हमला करते हैं जिससे बाद में निपटा जाएगा. आतंकवादी उन स्थानीय लोगों की मदद लेते हैं जिनकी अलगाववादी मानसिकता है. SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 1947 से हमें हम इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इस राज्य को लंबे समय से परेशानी का सामना करना पड़ा. 

मामले पर सुनवाई के दौरान SG ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि मैं उन अधिकारों को उन्‍हें दिखाना चाहता हूं जो छीने नहीं गए बल्कि पहली बार प्रदान किए गए.  यह उनकी सुरक्षा और देश की सुरक्षा के लिए है. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रदेश के एक छोटे से हिस्से में अंकुश लगाया गया. प्रदेश में अब 73वां और 74वां संविधान संशोधन लागू हो गया है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्व-सरकार यानी पंचायत अब काम कर रही है. वहां के लोगों को इसके जरिए प्रत्यक्ष धन मिलेगा और वे अपने स्वयं के विकास का फैसला कर सकेंगे. SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वहां जमीन पर अब विकास हो रहा है. 

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SG ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में कहा कि प्रदेश में कर्मचारी कानून अब लागू होगा. एससी/एसटी को उनके अधिकार नहीं मिल रहे थे अब उन्‍हें यह अधिकार मिलेगा.  पिछड़े वर्ग को अब उनका आरक्षण कोटा मिलेगा. लिंग भेदभाव और उन महिलाओं के अधिकारों का गंभीर मुद्दा है जिन्होंने राज्य के बाहर शादी की थी, उनकी रक्षा की जाएगी. 20000 से अधिक पश्चिम पाकिस्तान के नागरिक भी नागरिकों के रूप में अधिकार प्राप्‍त कर सकेंगे. 

शिक्षा का अधिकार कानून पहले राज्य के लिए लागू नहीं था लेकिन अब लागू है और प्रदेश के कमजोर समाज की मदद की जा रही है. SG ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रदेश में व्यक्तिगत आंदोलन कभी प्रतिबंधित नहीं हुए. कुछ समय के लिए स्कूल बंद कर दिए गए और मोबाइल फोन की बहाली जिलेवार की गई. उन्‍होंने कहा कि काम करने की स्थिति में अब सुधार होगा. अन्य वर्ग रोजगार और अन्य अवसरों को प्राप्त करेंगे. प्रदेश में 12% एसटी आबादी होने के बावजूद वे अच्छी तरह से पहचाने नहीं गए थे. अब उन्हें आरक्षण और संरक्षण मिलेगा. 

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जम्मू-कश्‍मीर (Jammu Kashmir) मामले पर सुनवाई के दौरान SG ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में कहा कि संपत्ति और महिलाओं के अन्य सभी अधिकारों की रक्षा की जाएगी. महिलाओं से संबंधित सभी केंद्रीय अधिनियम लागू होंगे. बाल विवाह निषेध अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम लागू होंगे. सैकड़ों लोगों के अनुकूल कानून लागू होंगे जो पहले उपलब्ध नहीं थे. प्रतिबंधों के कारण जम्मू-कश्मीर पर कोई केंद्र अधिनियम लागू नहीं था अब कई कानून उनके विकास के लिए लागू होंगे. उन्‍होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार प्रदेश में पहले लागू नहीं था अब लागू हो रहा है. 

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SG ने सुप्रीम कोर्ट (SC) को बताया कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में लैंडलाइन टेलीफोन, सार्वजनिक सभा निषिद्ध थी, लेकिन आंदोलन बंद नहीं किया गया था. इस पर कोर्ट ने पूछा कि पूरे राज्य में 144 लगाया गया? इसके जवाब में SG ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि ये पुलिस स्टेशन के अनुसार लगाया जाता है. कुछ क्षेत्रों को एक सप्ताह के भीतर हटा दिया गया था. इसके प्रभारी अधिकारी जिन्हें जमीनी स्थिति के बारे में पता है, वो कॉल लेता है. फिलहाल प्रदेश में कहीं भी धारा 144 लागू नहीं है. SG ने कोर्ट में बताया कि 4 सितंबर तक सभी लैंडलाइनों ने कार्य करना शुरू कर दिया है.

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अमेरिका में बोलने की स्वतंत्रता है. राष्ट्रीय ध्वज जलाना अमेरिका में स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति है लेकिन भारत में ये अपराध है. बलात्कार पीड़िता का नाम अमेरिका में प्रकाशित किया जा सकता है लेकिन भारत में नहीं. हम विभिन्न न्यायशास्त्र में हैं.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) विशेष रूप से कश्मीर घाटी में "सामान्य स्थिति" लौटाने के लिए विस्तृत विवरण सुप्रीम कोर्ट में दिया गया
1. सभी 59 लाख मोबाइल कनेक्शन बहाल
2. सभी 93, 247 लैंडलाइनों को बहाल किया
3. सभी 20,411 स्कूल फिर से खुल गए
4. बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह कार्यात्मक
5. पथराव की घटनाओं में कमी
6. 195 पुलिस थानों से प्रतिबंध हटाए गए
7. 5 अगस्त से पुलिस की गोलीबारी के कारण एक भी नागरिक की मौत नहीं
8. इंटरनेट सेवा जल्द ही बहाल की जाएगी
9. 25 करोड़ से अधिक पर्यटन के माध्यम से अर्जित, 34 लाख पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया
10. 17,000 प्रमुख सर्जरी, ओपीडी में 7 लाख से अधिक रोगियों ने दिखाया
11. पथराव की घटनाओं में एक तिहाई की कमी आई है
12. बोर्ड परीक्षा में 99% उपस्थिति
13. दुकानें दिन भर खुली रहती हैं
14. राज्य भर के अस्पतालों में उपलब्ध दवाओं, जीवन रक्षक दवाओं का पर्याप्त भंडार.
15. राज्य के भीतर यात्रा पर कोई रोक नहीं
16. बड़ी संख्या में समाचार पत्र अंग्रेजी और स्थानीय दोनों प्रकाशित हो रहे हैं.
17. डिश टीवी, डीडी, स्थानीय टीवी चैनलों को प्रसारित किया जा रहा है.

एजी केके वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से कहा कि सरकार की पिछले 70 वर्षों की व्यापक तस्वीर है. बड़ी संख्या में आतंकवादी घटनाएं हुई हैं और बड़ी संख्या में नागरिकों ने जान गंवाई हैं. आईएसआई द्वारा आतंकवादियों को भारत में धकेल दिया गया और फंड दिया गया. एक अन्य वर्ग अलगाववादी है. निवारक हिरासत के मामलों में व्यक्ति के पिछले रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाता है. वही कश्मीर पर लागू होता है. बहुत समय पहले जब इंटरनेट निलंबित था तब एक भी मामला दाखिल नहीं  किया गया था. लेकिन अब 20 मामले दर्ज किए गए हैं. जिस जमीन पर 22000 आतंकवादियों के मारे जाने का इतिहास है और कई अलगाववादी इसमें सक्रिय हैं, वहां प्रतिबंध लगाने के उपाय नहीं करना मूर्खतापूर्ण होगा. तीन महीने तक इंटरनेट बंद रहा कोई सामने नहीं आया. असलियत में आतंकियों और अलगाववादियों में जनता को बंधक बनाकर रखा.

अटार्नी जनरल ने कहा कि हुर्रियत नेताओं को पाक आईएसआई (ISI) से पैसा मिलता है. उन्हें कश्मीर में अशांति पैदा करने का काम सौंपा गया है. वे मारे गए आतंकवादियों के परिवारों की देखभाल करते हैं. वे भारत सरकार के खिलाफ कश्मीर की आजादी के लिए युवाओं को आतंकवाद में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं.

एजी वेणुगोपाल ने कहा कि खुफिया रिपोर्ट से इस तथ्य की तस्दीक हुई है कि हुर्रियत नेताओं को हवाला के जरिए पाकिस्तान से धन मुहैया कराया जाता रहा. कई बार तो हुर्रियत नेताओं को भारत में पाक दूतावास से सीधा धन भी मिलता था. इन्होंने पाकिस्तान और अन्य देशों में कश्मीर में जिहाद के नाम पर बड़ी मात्रा में चंदा उगाही भी की. ज़कात के नाम पर भी भारी मात्रा में धन यहां धर्म की आड़ में आता था और हथियार खरीदने पर खर्च होता था. उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर पाबंदी का मकसद यही है कि ये भड़काने वाले संदेश पलक झपकते ही हज़ारों लोगों तक पहुंचाते थे. फिर एक साथ हिंसा शुरू हो जाती थी. दीवारों पर चेतावनियां लिखकर भय बढ़ाया जाता था. मोबाइल फोन पर पाबंदी लगाने के पीछे वजह  सुरक्षा बलों के काफिले पर आतंकी हमले की मोडस ऑपरेंडी थी, जिसमें मोबाइल फोन का इस्तेमाल हुआ था.

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता लोगों की मदद नहीं कर रहे हैं. जम्मू- कश्मीर (Jammu Kashmir) के लोगों का आगे बेहतर भविष्य है. उद्योग आएंगे, रोजगार आएंगे.

सुप्रीम कोर्ट (SC) में मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

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