यह ख़बर 05 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कराची के नियंत्रण कक्ष में गया था आईएसआई का अधिकारी : जिंदाल

खास बातें

  • आईएसआई का संदिग्ध अधिकारी और भारत में वांछित मेजर समीर अली मुंबई में 2008 के आतंकी हमले के दौरान कराची स्थित नियंत्रण कक्ष में गया था और जिस समय आतंकवादी मुंबई में कहर बरपा रहे थे, अली लश्कर ए तय्यबा के कमांडर जकी उर रहमान लखवी को निर्देश दे रहा था।
नई दिल्ली:

आईएसआई का संदिग्ध अधिकारी और भारत में वांछित मेजर समीर अली मुंबई में 2008 के आतंकी हमले के दौरान कराची स्थित नियंत्रण कक्ष में गया था और जिस समय आतंकवादी मुंबई में कहर बरपा रहे थे, अली लश्कर ए तय्यबा के कमांडर जकी उर रहमान लखवी को निर्देश दे रहा था।
 
सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह खुलासा सैयद जबीउददीन अंसारी उर्फ अबू जिंदाल ने सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ के दौरान किया।
 
आईएसआई का एक अन्य संदिग्ध अधिकारी साजिद मीर भी मुंबई आतंकी हमले में शामिल था। उसने भारत में आतंकवादी वारदात को अंजाम देने की साजिश रची। उसने मुंबई पर हमला करने वाले अजमल आमिर कसाब और नौ अन्य आतंकवादियों की मदद की थी और उन्हें बैतूल मुजाहिदीन में प्रशिक्षण दिलवाया था।
 
जिंदाल ने पूछताछ करने वाले भारतीय अधिकारियों को बताया कि मीर भारत में हुए सबसे खतरनाक आतंकवादी हमले का आयोजक और प्रेरक था। मुंबई में 2008 के इस आतंकी हमले में 166 लोगों की जान गयी थी।
 
सूत्रों ने बताया कि मुंबई हमला जब खत्म हुआ तो मेजर समीर अली ने नियंत्रण कक्ष में मौजूद सभी लोगों से कहा कि वे वहां से तितर बितर होकर भूमिगत हो जाएं। जिंदाल जब बैतूल मुजाहिदीन वापस गया तो लखवी अपनी तीन बीवियों के साथ एक सुरक्षित मकान में रह रहा था।
 
सूत्रों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण मुंबई हमले के कुछ सप्ताह बाद पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने नियंत्रण कक्ष पर छापा मारकर उसे ध्वस्त कर दिया था।
 
कुछ महीनों बाद जब पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी ने बैतूल मुजाहिदीन स्थित शिविर पर छपा मारा तो उन्होंने वहां से लखवी को गिरफ्तार किया।
 
जिंदालने कहा कि वह और लश्कर का एक अन्य आतंकवादी अबू कहफा आतंकी शिविर के पिछले दरवाजे से भागने में सफल हो गए। बैतूल मुजाहिदीन से भागने के बाद जिंदाल फैसला बाद गया जहां वह दो महीने रहा और फिर पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद लौट आया।
 
इसके बाद जिंदाल का परिचय आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी कर्नल हमजा से कराया गया। हमजा ने  जिंदाल को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उसने कहा कि वह जिंदाल को शरण और धन दोनों मुहैया कराएगा।
 
जिंदाल जल्द ही रावलपिंडी गया और कर्नल हमजा की मदद से अप्रैल 2011 में सउदी अरब रवाना हो गया।


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