कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शनिवार को पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की राज्यसभा में कम उपस्थिति के बारे में स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया. रमेश ने कहा कि एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में न्यायमूर्ति गोगोई की टिप्पणी आई जिसमें उन्होंने कहा कि वह "संसद का अपमान" करने के लिए, "जब उन्हें ऐसा महसूस होगा" उच्च सदन में भाग लेंगे. संसद के रिकॉर्ड बताते हैं कि जस्टिस गोगोई की राज्यसभा में उपस्थिति 10 प्रतिशत से भी कम है. वह पिछले साल सदस्य बने थे.
एनडीटीवी से बात करते हुए, न्यायमूर्ति गोगोई ने राज्यसभा में अपनी कम उपस्थिति के कारणों में से एक महामारी को बताया था.
उन्होंने कहा, "आप इस तथ्य की अनदेखी करते हैं कि एक या दो सत्रों के लिए मैंने सदन को एक पत्र सौंपा है जिसमें कहा गया है कि कोविड के कारण, चिकित्सा सलाह पर मैं सत्र में शामिल नहीं हो रहा हूं."
#NDTVExclusive | Justice Gogoi, ex-Chief Justice of India, defended his controversial decision to accept a Rajya Sabha seat just 4 months after he retired from the Supreme Court, saying he wanted to do public service. But Parliament records show he has less than 10% attendance. pic.twitter.com/YIyIYCUUYP
— NDTV (@ndtv) December 9, 2021
न्यायमूर्ति गोगोई ने आगे कहा, "जब भी मेरा मन करता है मैं राज्यसभा जाता हूं... जब मुझे लगता है कि महत्वपूर्ण मामले हैं जिन पर मुझे बोलना चाहिए."
जयराम रमेश, न्यायमूर्ति गोगोई की टिप्पणियों से स्पष्ट रूप से अप्रसन्न थे, उन्होंने कहा कि संसद केवल बोलने का मंच नहीं है.रमेश ने ट्वीट किया, "यह असाधारण है और वास्तव में संसद का अपमान है कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कहते हैं कि वह राज्यसभा में भाग लेंगे, जिसमें उन्हें मनोनीत किया गया है, जब उन्हें ऐसा लगेगा! संसद केवल बोलने के लिए नहीं बल्कि सुनने के लिए भी है."
It is extraordinary and actually an insult to Parliament that former Chief Justice of India Ranjan Gogoi says he will attend the Rajya Sabha, to which he has been nominated, when he feels like it! Parliament is not just about speaking but also listening.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 11, 2021
जस्टिस गोगोई ने अपने हाल ही में प्रकाशित संस्मरण में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त होने के चार महीने बाद राज्यसभा में शामिल होने के अपने फैसले का बचाव किया. उनके इस कदम की व्यापक आलोचना हुई थी. उन्होंने कहा कि जब उन्हें पद की पेशकश की गई, तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के इसे स्वीकार कर लिया, क्योंकि वह न्यायपालिका और उत्तर पूर्व क्षेत्र से संबंधित मुद्दों को उठाना चाहते थे, जिससे वह संबंधित हैं.
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