यह ख़बर 30 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

लोकतंत्र अपूर्ण, चुनावों में दिखती है भेड़चाल : काटजू

खास बातें

  • भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने शनिवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र अपूर्ण है क्योंकि देश के 90 प्रतिशत लोग भेड़ों-बकरियों की तरह मतदान करते हैं।
नई दिल्ली:

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने शनिवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र अपूर्ण है क्योंकि देश के 90 प्रतिशत लोग भेड़ों-बकरियों की तरह मतदान करते हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी कर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहे काटजू ने इस बार सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके पूर्व सहयोगी एवं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है।

काटजू ने कहा कि भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है जिससे अगले 20 वर्ष तक निजात पाना मुमकिन नहीं है।

एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में काटजू ने कहा, "नब्बे प्रतिशत भारतीय भेड़-बकरियों की तरह मतदान करते हैं। लोग जानवरों के झुंड की तरह बिना सोचे-समझे जाति व धर्म के आधार पर मतदान करते हैं।" उन्होंने कहा, "भारतीय मतदाताओं के समर्थन के कारण ही कई अपराधी संसद में हैं।"

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि वह मतदान नहीं करेंगे क्योंकि देश को कुछ ऐसे नेता चला रहे हैं जो अपनी जाति के कारण चुने जाते हैं। यह लोकतंत्र का असली रूप नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं मतदान नहीं करता क्योंकि मेरा मत निरर्थक है। मतदान जाट, मुस्लिम, यादव या अनुसूचित जाति के नाम पर होता है। इस तरह से चलने का नाम लोकतंत्र नहीं है। मैं क्यों जानवरों की कतार में खड़ा होकर अपना समय गंवाऊं?"

अपने धर्मनिरपेक्ष विचारों पर अभिमान करते हुए काटजू ने कहा कि वह सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, "..और धर्मनिरपेक्ष होने के कारण यदि मैं कांग्रेसी करार दिया जाता हूं तो आप को अपना नजरिया पालने की छूट है।"

हाल के दिनों में काटजू 1993 के मुंबई में शृंखलाबद्ध विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट से सजा पाए अभिनेता संजय दत्त और जेबुन्निसा काजी के लिए माफी की मांग करने को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना और केजरीवाल की लड़ाई को निर्थक बताते हुए काटजू ने कहा, "यह आंदोलन किसी मूर्ख आदमी द्वारा कही गई कहानी की तरह है, जिसका कोई मतलब नहीं निकलता। देश में कोई नैतिक संहिता नहीं है, इसलिए भ्रष्टाचार को पूरी तरह मिटाया नहीं जा सकता।"

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पूर्व न्यायाधीश पर प्रचार पाने को ललायित रहने का आरोप लगता रहा है, मगर उन्होंने कहा, "प्रचार पाना विकृति का एक रूप है। मैंने कभी विवादों का पीछा नहीं किया, लेकिन अगर विवाद पीछा करे तो मैं क्या कर सकता हूं।"