केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा है कि भारत ने अपनी भूमि पर चीन के अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, 'चीन ने दशकों से अवैध कब्जे वाले इलाकों सहित सीमावर्ती इलाकों में अतीत में निर्माण गतिविधियां की है. भारत ने अपनी जमीन पर न तो चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार किया है, न ही इसने अनुचित चीनी दावों को स्वीकार किया है. 'उन्होंने कहा कि सरकार ने हमेशा इस बात से अवगत कराया है और आगे भी बीजिंग को इससे अवगत कराता रहेगा. NDTV ने सबसे पहले चीन द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र में चीन की ओर से गांव बसाने की जानकारी दी थी.अमेरिका के रक्षा विभाग की सैन्य विकास पर वार्षिक रिपोर्ट में वास्तविक नियंत्रण रेखा या LAC के साथ दोनों देशों के बीच व्याप्त तनाव को लेकर अमेरिकी धारणा के बारे में बताते हुए इस गांव का जिक्र किया गया है.
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चीन-भारत सीमा गतिरोध पर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के चेप्टर में कहा गया है, '2020 में किसी समय PRC (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) ने PRC' के तिब्तत स्वायत्त क्षेत्र और एलएसी के ईस्टर्न सेक्टर में स्थित अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र में 100 घरों का गांव बनाया है. 'विदेश मंत्रालय ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन की निर्माण गतिविधियों पर कहा कि भारत ने भी सड़कों और पुलों के निर्माण सहित सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है. भारत अपनी सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर निरंतर नजर रखता है और अपनी प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाता है.
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बता दें कि NDTV ने एक रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र की तस्वीरें दिखाई थीं जिसमें कहा गया था कि चीन ने एक नए गांव का निर्माण किया है और इसमें लगभग 101 घर हैं. रिपोर्ट के अनुसार 26 अगस्त 2019 की पहली तस्वीर में कोई इंसानी रिहायश नहीं दिखी, लेकिन नवंबर 2020 में आई दूसरी तस्वीर में आवासीय निर्माण दिखे. भारत ने इस पर सधी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि देश अपनी सुरक्षा पर असर डालने वाली सभी गतिविधियों पर लगातार नजर रखता है और अपनी संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाता है. नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने नागरिकों की आजीविका में सुधार के लिए सड़कों और पुलों सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण तेज कर दिया है. दूसरी ओर, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वो 'अपनी जमीन पर' निर्माण की गतिविधियां कर रहा है और यह पूरी तरह से उसके अखंडता का मसला है. गौरतलब है कि चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, जबकि भारत हमेशा कहता रहा है कि अरुणाचल उसका अभिन्न और अखंड हिस्सा है.
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