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This Article is From Feb 02, 2020

Income Tax के अब दो नए विकल्प, बिना कैलकुलेटर के यहां जानें किसमें होगा फायदा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश कर दिया है. इस बार भी इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax) को हर जगह चर्चा हो रही है.

Income Tax के अब  दो नए विकल्प, बिना कैलकुलेटर के यहां जानें किसमें होगा फायदा
Income tax के नए स्लैब का ऐलान Budget 2020-21 में किया गया है.
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश कर दिया है. इस बार भी इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax) को हर जगह चर्चा हो रही है. नए स्लैब का ऐलान होते ही लोगों में खुशी लहर दौड़ गई लेकिन इसके बाद उसमें जो शर्तें जोड़ी गईं उससे लोग कनफ्यूज भी हैं और समझ भी नहीं पा रहे हैं कि यह मसला क्या है. दरअसल इसमें अब टैक्स देने वालों के लिए दो विकल्प दिए गए हैं. अगर आप नए स्लैब की तहत टैक्स जमा करना चाहते हैं तो इसमें मिलने वाली छूट को पाने के लिए अब को पुराने नियम के तहत जो निवेश के प्रूफ दिखाते थे वे छोड़ना पड़ेगा. मतलब जीवन बीमा पॉलिसी के लिए चुकाए गए प्रीमियम या छोटी बचत योजनाओं में निवेश की गई रकम पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के अंतर्गत दी जाने वाली छूट या खुद रहने के लिए खरीदे गए घर हेतु बैंक से लिए गए होम लोन की किश्तों में दिए जा रहे ब्याज पर मिलने वाली छूट या घर के किराये के तौर पर चुकाई गई रकम पर मिलने वाली छूट (HRA Rebate) अगर आप अब भी लेना चाहते हैं, तो पुरानी दरों के हिसाब से ही आपको आयकर अदा करना होगा. सो, बचत योजनाओं में निवेश करने वालों या होम लोन ले चुके लोगों या घर के लिए दिए गए किराये पर छूट लेने वाले अधिकतर लोगों के लिए आज भी यही बेहतर है कि वे पुरानी दरों से ही इनकम टैक्स अदा करें. इसके साथ ही  भारतीयों (NRI) के लिए विशेष प्रावधान किए हैं. नए प्रावधान के अनुसार अब जो भारतीय विदेश में रहते हुए टैक्स नहीं देता है उसे भारत में कर का भुगतान करना होगा. इसके लिए किसी भी भारतीय को दूसरे देश में 182 दिनों की तुलना में 240 दिनों तक रहना होगा. आयकर अधिनियम की धारा 6 में संशोधन करते हुए, बजट ने प्रस्तावित किया कि "क्लॉज (1) में कुछ भी नहीं होने के बावजूद, एक व्यक्ति - भारत का नागरिक होने के नाते - किसी भी पिछले वर्ष में भारत में निवासी माना जाएगा, यदि वह किसी अन्य देश या क्षेत्र में उसके निवास या समान प्रकृति के किसी भी अन्य मानदंड के कारण कर के लिए उत्तरदायी नहीं है.  

ये है टैक्स का पूरा गुणा-गणित

  • अगर 4% सेस के साथ आयकर का हिसाब लगाएं तो पुरानी व्यवस्था में 80c के तहत मिलने वाली डेढ़ लाख की छूट के साथ साढ़े सात लाख रुपये पर आपका टैक्स 33,800 रुपये बनता है.  जबकि नई व्यवस्था में 4% सेस के साथ, मगर 80C की रियायतें छोड़ते हुए आपका टैक्स 39,000 बनता है- यानी 5200 का घाटा. 
  • लेकिन आगे बढ़ने के बाद फ़ायदा है.  नई व्यवस्था में 10 लाख पर आपका टैक्स 78,000 बनता है, जबकि पुरानी व्यवस्था में 85,800. यानी 7,800 का फ़ायदा. 
  • 12.5 लाख पर नई व्यवस्था में 1,30,000 टैक्स बनता है, जबकि पुरानी व्यवस्था में 1,48,200- यानी 18,200 का फ़ायदा
  • 15 लाख रुपये पर नई व्यवस्था में आपका टैक्स बनता है 1,95,000, जबकि पुरानी व्यवस्था में 2,26,200- यानी 31,200 रुपये का फायदा
  • 16 लाख की आय पर भी नया टैक्स 2,26200 रुपये का बनता है जबकि पुराना 2,57,400- यानी यहां भी 31,200 रुपये का फायदा.

क्या है नए स्लैब

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  • 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं
  • 5 से 7.5 लाख: 10%, 7.5 से 10 लाख: 15% 
  • 10 से 12.5 लाख की आय पर अब 20% टैक्स
  • 12.5 लाख से 15 लाख तक 25% टैक्स
  • 15 लाख के ऊपर पहले की तरह 30% आयकर
  • 15 लाख कमाने वाले को 78 हज़ार का फ़ायदा
     

किसानों की आय दोगुनी करने का वादा दोहराया
केन्द्र सरकार ने फिर ये बात दुहराई है कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी करेंगे, और इसके लिए सरकार ने 16 प्वाइंट का एक्शन प्लान भी पेश किया. लेकिन किसान इससे बहुत ज़्यादा उत्साहित नहीं लगते. उनका कहना है कि 100 ज़िलों में पानी का इंतज़ाम और अनाज के भंडारण की योजना अगर ठीक से लागू होगी तो उससे फ़ायदा होगा.  लेकिन जब तक खेती को मुनाफ़े का धंधा बनाने के बड़े उपाय नहीं होते, किसान की हालत नहीं सुधरेगी.  

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