सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच को लेकर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'सत्यमेव जयते'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब जांच में सत्यनिष्ठा और विश्वसनीयता होगी तो न्यायिक प्रक्रिया में आम आदमी का विश्वास और आस्था दिखाई देगी

सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच को लेकर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'सत्यमेव जयते'

सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के मामले को की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Suypreme Court) ने फैसले में कहा, सत्यमेव जयते. मामले की जांच सीबीआई को सौंपने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता (रिया चक्रवर्ती)  के लिए भी यह वांछित न्याय होगा क्योंकि उसने खुद सीबीआई जांच के लिए कहा था. निष्पक्ष जांच के माध्यम से वास्तविक तथ्यों का प्रसार निश्चित रूप से उन निर्दोषों के लिए न्याय का परिणाम होगा, जो किसी मिथ्या अभियान का लक्ष्य हो सकते हैं. समान रूप से महत्वपूर्ण बात यह है कि जब जांच में सत्यनिष्ठा और विश्वसनीयता होगी, तो न्यायिक प्रक्रिया में आम आदमी का विश्वास और आस्था दिखाई देगी. जब सच्चाई सूरज की रोशनी से मिलती है तो अकेले जीवित रहने वाले को ही न्याय नहीं बल्कि, जीवन के अस्थिर ताप के बाद अब दिवंगत भी अच्छी तरह से सो जाएंगे. सत्यमेव जयते.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की पृष्ठभूमि में, जांच में जनता का विश्वास सुनिश्चित करने और मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए यह न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को लागू करना उचित समझता है. कानूनी अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाले न्यायालय के रूप में वर्तमान मामले में पूर्ण शक्ति के प्रयोग के लिए कोई बाधा नहीं देखी जाती है. इसलिए चल रही सीबीआई जांच के लिए मंजूरी के अनुसार, यदि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु और उनकी अप्राकृतिक मौत के आसपास की परिस्थितियों में कोई अन्य मामला दर्ज किया गया है तो सीबीआई को नए मामले की भी जांच करने का निर्देश दिया जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में मुंबई पुलिस ने बिना कोई एफआईआर किए धारा 174 के दायरे को बढ़ाने का प्रयास किया है और इसलिए, जैसा कि प्रतीत होता है, मुंबई पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराध की कोई जांच नहीं की जा रही है. हितधारकों द्वारा निष्पक्ष जांच पर आशंका को देखते हुए, इस न्यायालय को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सत्य की खोज एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जाए, जो दोनों राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित ना हो. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जांच और जांच प्राधिकरण की विश्वसनीयता को संरक्षित किया जाना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने केस में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. अदालत ने कहा उपरोक्त प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि सुप्रीम कोर्ट एक योग्य मामले में, न्याय प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 142 शक्तियों को लागू कर सकता है. इस मामले में अजीब परिस्थितियों के लिए आवश्यक है कि इस मामले में पूर्ण न्याय किया जाए.

केस में राजनीति और लोगों की बयानबाजी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक हस्तक्षेप के तीखे आरोप लगा रहे हैं जिससे जांच की वैधता पर संदेह के बादल छा गए हैं. आरोप लगाते हुए उंगलियां उठाई जा रही हैं और लोगों ने इस मामले में अपना अनुमान लगाने और थ्योरी बताने की स्वतंत्रता ले ली है. इस तरह की टिप्पणियां, चाहे वो जिम्मेदार हों या अन्य, सार्वजनिक अटकलों का कारण बनता है, जिन्हें मीडिया से लाइमलाइट मिलती है. दुर्भाग्य से इन घटनाक्रमों में जांच में देरी और गलत पहचान करने की प्रवृत्ति है. ऐसी स्थिति में सच के हताहत होने और न्याय का शिकार होने की उचित आशंका है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत और उनके पिता पर कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मुंबई फिल्म जगत में एक प्रतिभाशाली अभिनेता थे और उनकी पूरी क्षमता का अहसास होने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई. उनके परिवार, दोस्त और प्रशंसक उत्सुकता से जांच के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं ताकि चारों ओर तैरने वाली सभी अटकलों पर लगाम लगाई जा सके. इसलिए निष्पक्ष, सक्षम जांच समय की जरूरत है. अपेक्षित परिणाम तब मिलेगा. शिकायतकर्ता के लिए न्याय का एक उपाय किया जाए जिसने अपने इकलौते बेटे को खो दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनिश्चितता और भ्रम से बचने के लिए कि मामले की जांच कौन करेगा, सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है. पटना एफआईआर वैध है क्योंकि पटना में दर्ज आरोपों का संबंध धन के दुरुपयोग से है. क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के मामले में कॉज ऑफ एक्शन पटना भी हो सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई पुलिस के लिए कहा कि अदालत में दिए गए रिकॉर्ड के अनुसार मुंबई पुलिस द्वारा कुछ गलत  नहीं किया गया. मुंबई पुलिस को बिहार पुलिस की आपत्ति से बचना चाहिए था क्योंकि इसने संदेह को जन्म दिया था. इस अदालत के सामने पेश मामले के रिकॉर्ड, मुंबई पुलिस द्वारा कोई गलत काम करने का सुझाव नहीं देते हैं. हालांकि, मुंबई में बिहार पुलिस टीम की जांच में बाधा को टाला जा सकता था क्योंकि इसने संदेह को जन्म दिया. 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र के खिलाफ राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों में जांच पर संदेह करने की क्षमता है. यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि क्या सुशांत सिंह राजपूत की अप्राकृतिक मौत किसी आपराधिक कृत्य का परिणाम थी. अदालत का भी  दृष्टिकोण है कि अभियुक्त जांच एजेंसी का चयन करने के लिए नहीं कर सकता है.