
- संसद में 130वां संविधान संशोधन बिल पेश किया गया, जिसमें पांच साल से अधिक सजा वाले मामलों में पद छोड़ना होगा
- कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह से उनके गुजरात गृहमंत्री पद से इस्तीफे पर सवाल उठाए थे
- अमित शाह ने बताया कि उन पर लगे फर्जी आरोपों के चलते उन्होंने इस्तीफा देकर नैतिकता का पालन किया था
Amit Shah Arrest Case: संसद में 130वां संविधान संशोधन बिल पेश किया गया. जिसके तहत अगर किसी भी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर मंत्री की गिरफ्तारी होती है तो 30 दिन में उसकी कुर्सी चली जाएगी. ये ऐसे आपराधिक मामलों में लागू होगा, जिनमें 5 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान होता है. गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को पेश किया. इस बिल को लेकर संसद में जमकर बवाल हुआ और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह को उनकी उस गिरफ्तारी की याद दिला दी, जो कई साल पहले हुई थी. आइए जानते हैं कि गुजरात में तब क्या हुआ था और अमित शाह ने कब अपना इस्तीफा दिया.
केसी वेणुगोपाल ने उठाए सवाल
गृहमंत्री अमित शाह ने पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल पेश करते हुए कहा कि गिरफ्तारी के बाद नेताओं को नैतिकता दिखाते हुए अपना पद छोड़ देना चाहिए. इस पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल को गुस्सा आया और उन्होंने कहा कि ये बिल देश की संघीय व्यवस्था को तहस-नहस करने वाला है. क्या मैं गृहमंत्री से एक सवाल पूछ सकता हूं कि जब वो गुजरात के गृहमंत्री थे, तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था. क्या तब उन्होंने उस नैतिकता का पालन किया था?
कांग्रेस सांसद के इस आरोप पर गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब दिया और कहा कि जब मैं गुजरात का गृहमंत्री था, तब मेरे खिलाफ फर्जी आरोप लगे थे और मैंने नैतिकता दिखाते हुए इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा, 'बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था.'

किस मामले में हुई थी अमित शाह की गिरफ्तारी?
26 नवंबर 2005 की रात गुजरात के अहमदाबाद में गैंगस्टर सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर हुआ था. राजस्थान और गुजरात पुलिस के इस एनकाउंटर को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे. पहले सोहराबुद्दीन को आतंकवादी बताया गया था, लेकिन बाद में वो गैंगस्टर निकला. इस एनकाउंटर के बाद सोहराबुद्दीन की पत्नी को भी मार दिया गया.
इस मामले में ही अमित शाह को भी आरोपी बनाया गया था. एनकाउंटर मामले में गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री शाह और राजस्थान के मंत्री गुलाब चंद कटारिया का नाम सीबीआई की चार्जशीट में था.
- अमित शाह ने इस मामले में गिरफ्तारी से पहले बीजेपी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को निर्दोष बताया और आरोपों को झूठा बताया.
- गिरफ्तार होने से पहले अमित शाह ने अपना इस्तीफा तब के सीएम नरेंद्र मोदी को दे दिया था. जिसे स्वीकार कर लिया गया. मामले में नाम आने के बाद से ही विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा था.
- 25 जुलाई 2010 को अमित शाह की गिरफ्तारी हुई और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया.
- करीब तीन महीने बाद 21 अक्टूबर 2010 को अमित शाह को जमानत मिल गई. हालांकि इसके बाद कई महीनों तक उन्हें गुजरात से बाहर रहना पड़ा.
- 2014 तक अमित शाह, गुलाब चंद कटारिया समेत 16 आरोपियों को अदालत की तरफ से आरोप मुक्त कर दिया गया और क्लीन चिट मिल गई.
कानून बनाने की तैयारी में सरकार
भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों में लिप्त नेताओं को पद से हटाने को लेकर अब सरकार कानून बनाने की तैयारी कर रही है. पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले देखे गए, जिनमें सीएम या मंत्री की गिरफ्तारी के बाद भी वो अपने पद पर बने रहे. दिल्ली के सीएम रहे अरविंद केजरीवाल ने जेल से ही सरकार चलाई थी. फिलहाल मोदी सरकार के इस बिल को लेकर विपक्ष जोरदार विरोध कर रहा है.
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