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आईआईटी और सिब्बल के बीच विवाद सुलझ गया है। सभी आईआईटी 2013 से नए फॉर्मेट में प्रवेश परीक्षा पर सहमत हो गए हैं।
नए प्रारूप के मुताबिक एक एडवांस परीक्षा आयोजित की जाएगी और ये प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान उन छात्रों पर दाखिले के लिए गौर करेंगे जो विभिन्न बोर्डों के शीर्ष 20 फीसदी में आते हैं।
बैठक के बाद आईआईटी काउंसिल के सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हमने एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है जिसमें स्क्रीनिंग का मापदंड तय कर हर बोर्ड के शीर्ष 20 फीसदी छात्रों को आईआईटी में दाखिले के योग्य माना जाएगा। उन्होंने कहा कि इसे वर्ष 2013 से लागू किया जाएगा।
शीर्ष निर्णायक निकाय आईआईटी काउंसिल की बैठक में इस बात पर सहमति बनी। इस निकाय में इन सभी 16 संस्थानों के निदेशक और सरकार के प्रतिनिधि हैं।
हालांकि काउंसिल के अध्यक्ष मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल इस बैठक में नहीं थे और बैठक की अध्यक्षता आईआईटी, मद्रास के संचालक मंडल के अध्यक्ष एमएन शर्मा ने की।
इस समझौते के अनुसार वर्ष 2013 से आईआईटी में दाखिला एडवांस परीक्षा में प्राप्त रैंक के आधार पर होगा और साथ ही यह शर्त होगी कि चुने गए छात्र अपने बोर्डों के शीर्ष 20 फीसदी छात्रों में हों। इससे पहले सरकार ने साझा प्रवेश परीक्षा का प्रस्ताव रखा था जिसे आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर ने खारिज कर दिया और कुछ अन्य के भी इसी राह पर चलने की आशंका थी।
यह सम्मति फार्मूला आईआईटी ज्वायंट एडमिशन बोर्ड (जेएबी) के निर्णय के अनुरूप ही है। इसकी पिछले शनिवार को बैठक हुई थी। इसमें आईआईटी के निदेशक शामिल हैं। जेएबी ने मुख्य और एडवांस परीक्षाओं के बीच उपयुक्त अंतराल की मांग की है ताकि मुख्य परीक्षा का परिणाम एडवांस से पहले उपलब्ध हो जाए तथा मुख्य परीक्षा के केवल डेढ़ लाख शीर्ष सफल उम्मीदवार (सभी श्रेणियां) ही एडवांस परीक्षा में शामिल हों।
आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर (सरकार के) ने प्रस्ताव को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह परीक्षा अकादमिक दृष्टि से अनुपयक्त और प्रक्रियागत दृष्टि से अतर्कसंगत है।
(इनपुट भाषा से भी)
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