प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी गई जिसके तहत आईआईएम अपने छात्रों को डिग्री प्रदान कर सकेंगे. इन्हें राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है. कैबिनेट द्वारा विधेयक को मंजूरी देने के साथ ही आगामी बजट सत्र में इसे संसद में पेश किए जाने की संभावना है. एक सरकारी बयान के मुताबिक आईआईएम अब अपने छात्रों को डिग्री दे सकेंगे. सोसायटी होने के कारण प्रतिष्ठित आईआईएम वर्तमान में डिग्री देने को अधिकृत नहीं हैं और प्रबंधन में परास्नातक डिप्लोमा और फेलो प्रोग्राम की डिग्री देते हैं. हालांकि इन पाठ्यक्रमों को क्रमश: एमबीए और पीएचडी के बराबर माना जाता है लेकिन समानता वैश्विक रूप से स्वीकार्य नहीं है खासकर फेलो प्रोग्राम के लिए.
बयान में कहा गया है कि विधेयक में संस्थानों को पूर्ण स्वायत्ता दी गई है जिसमें पर्याप्त जवाबदेही भी होगी. विधेयक में जिस ढांचे का प्रस्ताव है उसमें इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड से संचालित होगा जहां संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक बोर्ड द्वारा चुने जाएंगे. बयान में कहा गया है कि बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती विद्यार्थियों की ज्यादा भागीदारी होगी. कैबिनेट के निर्णय की घोषणा के तुरंत बाद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया कि ‘‘आईआईएम को वास्तविक स्वायत्ता देना और डिग्री देने की मंजूरी देना ऐतिहासिक निर्णय है.’’
मंत्री ने कहा कि यह उच्च शिक्षा के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की दूरदृष्टि को दर्शाता है. विधेयक में एक प्रावधान यह भी है कि बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को शामिल किया जाए. विधेयक में स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा समय.. समय पर संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा का भी प्रावधान है और इसके परिणाम सार्वजनिक किए जाएंगे. बयान में कहा गया है कि संस्थानों की वाषिर्क रिपोर्ट को संसद में पेश किया जाएगा और उनके खाते का ऑडिट कैग करेगा.
विधेयक में आईआईएम के संयोजन फोरम का भी प्रस्ताव है जो सलाहकार संस्था के तौर पर काम करेगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुरू में एक उपधारा जोड़ने पर विचार किया था जिसके तहत इन संस्थानों का विजिटर राष्ट्रपति को बनाया जाना था लेकिन इसे हटा दिया गया और समझा जाता है कि यह उस मसौदे का हिस्सा नहीं है जो आज कैबिनेट के समक्ष रखा गया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बयान में कहा गया है कि विधेयक में संस्थानों को पूर्ण स्वायत्ता दी गई है जिसमें पर्याप्त जवाबदेही भी होगी. विधेयक में जिस ढांचे का प्रस्ताव है उसमें इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड से संचालित होगा जहां संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक बोर्ड द्वारा चुने जाएंगे. बयान में कहा गया है कि बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती विद्यार्थियों की ज्यादा भागीदारी होगी. कैबिनेट के निर्णय की घोषणा के तुरंत बाद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया कि ‘‘आईआईएम को वास्तविक स्वायत्ता देना और डिग्री देने की मंजूरी देना ऐतिहासिक निर्णय है.’’
मंत्री ने कहा कि यह उच्च शिक्षा के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की दूरदृष्टि को दर्शाता है. विधेयक में एक प्रावधान यह भी है कि बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को शामिल किया जाए. विधेयक में स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा समय.. समय पर संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा का भी प्रावधान है और इसके परिणाम सार्वजनिक किए जाएंगे. बयान में कहा गया है कि संस्थानों की वाषिर्क रिपोर्ट को संसद में पेश किया जाएगा और उनके खाते का ऑडिट कैग करेगा.
विधेयक में आईआईएम के संयोजन फोरम का भी प्रस्ताव है जो सलाहकार संस्था के तौर पर काम करेगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुरू में एक उपधारा जोड़ने पर विचार किया था जिसके तहत इन संस्थानों का विजिटर राष्ट्रपति को बनाया जाना था लेकिन इसे हटा दिया गया और समझा जाता है कि यह उस मसौदे का हिस्सा नहीं है जो आज कैबिनेट के समक्ष रखा गया.
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