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This Article is From Jan 21, 2015

अगर पोस्ट करने वालों को पकड़ नहीं सकते, तो नियम बनाने का फायदा क्या : सुप्रीम कोर्ट

अगर पोस्ट करने वालों को पकड़ नहीं सकते, तो नियम बनाने का फायदा क्या : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने पर आईटी एक्ट के तहत पुलिस कारवाई के मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार पर कई सवाल दागे। कोर्ट ने कहा कि अगर पोस्ट करने वाले को ट्रेस नहीं किया जा सकता तो फिर नियम बनाने की क्या ज़रूरत है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले की पहचान हो सकती है, और केंद्र सरकार की और से पेश हुए कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के डीजी गुलशन राय ने कोर्ट को बताया था कि नई टेक्नोलॉजी में यह मुश्किल है, क्योंकि इसके लिए छिपे हुए सर्वरों का इस्तेमाल होता है और ज्यादातर सर्वर विदेश में होते हैं, सो, ऐसे में यह तो पता लगाया जा सकता है कि किस कम्प्यूटर से पोस्ट किया गया है, लेकिन पोस्ट करने वाले की पहचान नहीं की जा सकती।

उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप के देश इस मामले में जानकारी नहीं देते हैं, जिससे मुश्किलें और बढ़ जाती है, हालांकि सरकार इन देशों से बात कर रही है कि वे जानकारी साझा करें। कोर्ट के सामने कम्प्यूटर पर पोस्ट करके डेमो दिखाने की बात भी कही गई।

इसके बाद मामले की सुनवाई कर कही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पोस्ट करने वाले तक पहुंचा नहीं जा सकता तो फिर इस मामले में नए नियम बनाने की कवायद का क्या फायदा है। इस मामले में कोर्ट अगले हफ्ते भी सुनवाई जारी रखेगा।

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