बच्चों में कोरोना वायरस (Coronavirus in children) संक्रमण मिलना प्रचलित धारणाओं के विपरीत है, हालांकि उनमें आम तौर पर केवल हल्के लक्षण दिखते हैं. नीति आयोग के सदस्य - स्वास्थ्य डॉ वीके पॉल (Dr VK Paul) ने आज यह बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अब यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि नाबालिग संक्रमण की श्रृंखला का हिस्सा न बनें, जिससे बीमारी फैलती है.
एएनआई की पूर्व की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि महामारी की दूसरी लहर में प्रभावित बच्चों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पहले से रोगी बच्चों को संभालने के लिए सतर्क किया है, जो कि घातक वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.
डॉ पॉल ने आज संवाददाताओं से कहा कि "बच्चों का मामला अधिक महत्वपूर्ण है... उन्हें कोविड होता है, लेकिन लक्षण कम होते हैं. वे काफी हद तक बिना लक्षण वाले होते हैं." उन्होंने कहा कि "हालांकि यह सुनिश्चित करना है कि वे उस श्रृंखला का हिस्सा न बनें जिसके माध्यम से लोगों में बीमारी फैलती है."
भारत में 26 प्रतिशत जनसंख्या 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों की है और लगभग सात प्रतिशत जनसंख्या पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की है.
इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा दी गई चेतावनी के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर बड़ी संख्या में बच्चों को प्रभावित कर सकती है.
डॉ पॉल ने आज यह भी खुलासा किया कि भारत में महामारी की दूसरी लहर में शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र अधिक प्रभावित हुए हैं. हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि स्थिति स्थिर हो रही है. नीति आयोग के सदस्य ने एक सप्ताह पहले दिए गए संदेश को दोहराते हुए कहा, "देश के एक बड़े हिस्से में महामारी थम रही है. पॉजिटिविटी रेट कम हो रहा है और सक्रिय मामलों की संख्या कम हो रही है."
पहला डोज एक टीके का और दूसरा डोज दूसरे टीके का लेना मुमकिन
डॉ वीके पॉल से पूछा गया कि पहला डोज एक टीके का और दूसरा डोज दूसरे टीके का लेना क्या मुमकिन है? इस पर पॉल ने कहा कि यह साइंटिफिकली पॉसिबल है और ये प्रैक्टिकल में हो रहा है. इस पर आगे की प्रक्रिया चल रही है.
सरकार के सूत्रों का कहना है कि नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन इन इंडिया (The National Technical advisory Group on immunization in India) ने अपने फोरम में वैक्सीन के मिश्रण (Mixing of vaccines) को लेकर रिसर्च की बात कही है. दुनिया में भी इस पर रिसर्च की जा रही है. मुमकिन है कि आने वाले दिनों भारत भी इस पर रिसर्च कर सकता है. अब तक इसको लेकर साक्ष्य नहीं हैं कि दो अलग-अलग डोज अलग-अलग टीके के दिए जाएं तो वह कितना कारगर होगा.
कोरोना की दूसरी लहर में क्यों तेजी से फैला 'ब्लैक फंगस', जानें एम्स डॉयरेक्टर रणदीप गुलेरिया से
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