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This Article is From Apr 05, 2013

डर है, मोदी ने जो गुजरात में किया, वह देशभर में न कराएं : मनीष तिवारी

नई दिल्ली / पटना: 'देश का कर्ज चुकाने' की बात कहकर प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का स्पष्ट संकेत दिए जाने से संबंधित गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर राजनीति में नया बवाल मच गया है।

गुरुवार को मोदी ने इस बयान के जरिये इशारों-इशारों में साफ कर दिया कि वह प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए तैयार हैं। मोदी के बयान पर कांग्रेस नेता और केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें डर है कि कहीं नरेंद्र मोदी की मंशा पूरी देश में वही सब करवाने की न हो, जो (सांप्रदायिक दंगे) उन्होंने (मोदी ने) वर्ष 2002 में गुजरात में करवाया था।

दूसरी तरफ, मोदी के इस बयान पर एनडीए के घटक दल जेडीयू के नेता शिवानंद तिवारी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब कोई राजनेता इस तरह की बातें कहता है, तो उसके पीछे दिल्ली की कुर्सी की उसकी आकांक्षा झलकती है। तिवारी ने कहा कि देखते हैं 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली किसको पसंद करती है। देश की सेवा तो गुजरात में रहकर भी हो सकती है... उल्लेखनीय है कि जेडीयू शुरू से ही मोदी की पीएम पद की उम्मीदवारी के खिलाफ रहा है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार इसे लेकर सार्वजनिक बयान दे चुके हैं।

गौरतलब है कि गुरुवार को गांधीनगर में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हर बच्चे का कर्तव्य है कि वह भारत माता का कर्ज चुकाए। मोदी ने कहा, न सिर्फ मोदी बल्कि हर बच्चे और नागरिक का भारत माता के प्रति ऋण है... यह उसका कर्तव्य है कि जब भी अवसर आए, वह उसे चुकाए। मोदी ने राजनीतिक अर्थों वाली यह टिप्पणी एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान लेखक आरपी गुप्ता के बयान पर प्रतिक्रिया में दी। लेखक ने कहा था, मोदीजी ने गुजरात का कर्ज चुका दिया है, अभी भारत मां का कर्ज चुकाना है।

मोदी ने कहा, एक डॉक्टर किसी की जान बचाकर भारत माता के प्रति अपना कर्ज चुकाता है... एक शिक्षक बच्चों को पढ़ाकर ऐसा करता है। राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार होने का साफ संकेत देते हुए मोदी ने कहा, हर किसी को यह ऋण चुकाना है... मुझे उम्मीद है कि भारत माता आशीर्वाद देती है और कोई व्यक्ति कर्ज चुकाए बिना नहीं जाता।

मोदी को हाल ही में बीजेपी संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है, जो पार्टी में निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है। कई विश्लेषकों का मानना है कि मोदी को संसदीय बोर्ड में शामिल किया जाना, उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए औपचारिक उम्मीदवार मनोनीत किए जाने का पहला कदम है।

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