कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शनिवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी (BJP) सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने कहा 'मैं सत्ता के बीच पैदा हुआ, लेकिन अजीब बीमारी है कि मेरी उसमें दिलचस्पी ही नहीं'. उन्होने कहा बहुत ये नेता हैं जो सुबह उठते ही कहते हैं सत्ता कैसे मिलेगी. रात तक वे यही कहते सो जाते हैं फिर सुबह उठ के कहते हैं कि सत्ता कैसे मिलेगी. मैं सत्ता के बीच में पैदा हुआ लेकिन बड़ी अजीब सी बीमारी है कि मेरा उसमें इंटरेस्ट ही नहीं है. राहुल गांधी ने आगे कहा कि जब उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले हमने बसपा को गठबंधन का प्रस्ताव का मैसेज भेजा तो उधर से कोई भी जवाब नहीं आया.
राहुल गांधी ने कहा कि कांस्टीट्यूशन हिंदुस्तान का हथियार है. मगर इंस्टीट्यूशन के बिना कांस्टीट्यूशन का कोई मतलब नहीं है. आप कहते हैं कि कांस्टीट्यूशन की रक्षा करनी है. मैं कहता हूं कांस्टीट्यूशन की रक्षा करनी है, मगर कांस्टीट्यूशन को इम्लिमेंट कैसे किया जाता है इंस्टीट्यूशन से. इंस्टीट्यूशन सब के सब आरएसएस के हाथ में हैँ. इंस्टीट्यूशन आपके और हमारे हाथ में नहीं है. अगर इंस्टीट्यूशन आपके और हमारे हाथ में नहीं हैं, तो कांस्टीट्यूशन हमारे हाथ में नहीं है. ये कोई नया आक्रमण नहीं है. ये आक्रमण उस दिन शुरु हुआ, जब महात्मा गांधी की छाती में तीन गोलियाँ डाली गई थी.
राहुल गांधी ने कहा अंबेडकर जी ने कांस्टीट्यूशन को बनाने का, डेवलप करने का, प्रोटेक्ट करने का काम किया. अंबेडकर जी ने हमें हथियार दिया, मगर आज उस हथियार का कोई मतलब नहीं है. मतलब ही नहीं है. जैसे गाड़ी बहुत सुंदर है. गाड़ी में आपको जयपुर जाना है. गाड़ी में पांच लोग बैठे हैं, चार लोगों को जयपुर जाना है और ड्राइवर आगरा जाना चाहता है. बात समझ आई? गाड़ी में पांच लोग, डेमोक्रेसी, चार लोग कहते हैं भाई, हमें जाना है आगरा, ड्राइवर कहता है मैं जा रहा हूं जयपुर.
राहुल गांधी ने आगे कहा ये हो रहा है और किया कैसे किया जा रहा है – मीडिया को कंट्रोल करके, तीन,चार सबसे बड़े अरबपतियों को कंट्रोल करके, पेगासस से राजनेताओं को कंट्रोल करके. मैं आपको बता रहा हूं, स्टेज पर बता रहा हूं. अगर मैंने एक रुपया लिया होता ना, मैं ये भाषण नहीं दे पाता. मैं वहाँ पर कोने में चुप बैठा रहता, ये भाषण नहीं दे पाता. तो पेगासस, सीबीआई, ईडी, ये पॉलिटिकल सिस्टम को कंट्रोल करते हैं.
राहुल गांधी के अनुसार कोई राजनेता जैसे, आपने देखा होगा मायावती जी ने चुनाव ही नहीं लड़ा. हमने मायावती जी को मैसेज दिया, अलायंस करिए, चीफ मिनिस्टर बनिए, बात तक नहीं की. जिन लोगों ने, कांशी राम जी ने, रिस्पेक्ट करता हूं मैं, खून पसीना देकर दलित आवाज जो थी उत्तर प्रदेश की, उसको जगाया. कांग्रेस का नुकसान हुआ, वो अलग बात है, मगर उस आवाज को जगाया. आज मायावती जी कहती हैं कि मैं उस आवाज के लिए लडूंगी नहीं. खुला रास्ता दे दिया. क्यों - सीबीआई, ईडी, पेगासस.
उन्होने कहा लड़ाई सिर्फ जनता कर सकती है. जब तक हिंदुस्तान की जनता के अंदर जो आवाज है, जब तक वो नहीं निकलेगी, तब तक इंस्टीट्यूशन को कंट्रोल करके कांस्टीट्यूशन को ये लागू होने नहीं देंगे. ये आज हिंदुस्तान की सच्चाई है. जब कांस्टीट्यूशन काम नहीं करता है, तो सीधी चोट, डायरेक्ट कमजोर लोगों पर जाकर पड़ती है. कौन हैं वो - दलित हैं, अल्पसंख्यक हैं, आदिवासी हैं, बेरोजगार लोग हैं, छोटे किसान हैं ये लोग आज इकॉनमी की हालत देख लीजिए, बेरोजगारी देख लीजिए. तो लड़ने का समय है और जो अंबेडकर जी ने कहा, जो गांधी जी ने कहा, रास्ता दिखाया उन्होंने. रास्ता है, उस पर बस चलने की जरुरत है. मुश्किल काम है, आसान काम नहीं है, रास्ता है, उस पर चलने की जरुरत है.
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