हैदरपोरा मुठभेड़ : मां ने खुदकुशी की धमकी दी, पिता बोले-मेरा बेटा आतंकवादी नहीं, पुलिस जांच को किया खारिज

मुबीना ने कहा कि वह मुठभेड़ के बाद से शव की वापसी का इंतजार कर रही हैं और अपने बेटे को आखिरी बार देखना चाहती हैं. आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय का रुख कर अपने पुत्र का शव लौटाने का अनुरोध करेंगे.

हैदरपोरा मुठभेड़ : मां ने खुदकुशी की धमकी दी, पिता बोले-मेरा बेटा आतंकवादी नहीं, पुलिस जांच को किया खारिज

बेटे की मौत के बाद परिजनों में आक्रोश ( प्रतीकात्मक फोटो)

रामबन/जम्मू:

हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक आमिर माग्रे के माता-पिता ने बुधवार को पुलिस की उस जांच को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि उनका बेटा आतंकवादी थी. उसकी मां ने अपनी जान लेने की धमकी दी जबकि परिवार आमिर का शव पाने के लिये उच्च न्यायालय का रुख करेगा. हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच कर रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को कहा था कि एक विदेशी आतंकवादी ने एक नागरिक को मार डाला जबकि मकान का मालिक और एक स्थानीय “आतंकवादी” (आमिर माग्रे) की गोलीबारी में मौत हो गई. हैदरपोरा में 15 नवंबर को मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकवादी एवं तीन अन्य व्यक्ति मारे गये थे. पुलिस ने दावा किया था कि मारे गये सभी व्यक्तियों का आतंकवाद से संबंध था. हालांकि इन तीन व्यक्तियों के परिवारों ने दावा किया था कि वे बेगुनाह थे और उन्होंने इस मुठभेड़ में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. उसके बाद पुलिस ने जांच का आदेश दिया था.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा भी मामले में अलग से एक मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं. आमिर की मां मुबीना ने अपने 3.42 मिनट के वीडियो में एसआईटी के बयान को “पूरी तरह निराधार” करार दिया और कहा कि परिवार को पांच दिन में दफनाने के लिये उसका शव नहीं दिया गया तो वह अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए जहर खा लेंगी. 
मुबीना ने कहा, “उन्होंने मेरे मासूम बेटे को मार डाला है जो मजदूरी करके जीवनयापन कर रहा था और उन्होंने उस पर झूठे आरोप लगाए हैं. वे अपने प्रचार के लिए ऐसा कर रहे हैं. पांच दिनों के भीतर शव नहीं लौटाने पर मैंने जहर खाकर अपनी जान देने का फैसला किया है. सरकार और मेरे बेटे पर आरोप लगाने वाले मेरी मौत के लिए जिम्मेदार होंगे.”

उन्होंने कहा, “मैं अपने बेटे को जानती हूं क्योंकि मैंने उसे घोर गरीबी में पाला है...वह एक विनम्र लड़का था और पूरा गांव उसकी मौत का शोक मना रहा है. वे हमें पुलिसकर्मियों को तैनात करके विरोध करने की भी अनुमति नहीं दे रहे हैं.” मुबीना ने कहा कि वह मुठभेड़ के बाद से शव की वापसी का इंतजार कर रही हैं और “अपने बेटे को आखिरी बार देखना चाहती हैं.” आमिर के पिता मोहम्मद लतीफ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय का रुख कर अपने पुत्र का शव लौटाने का अनुरोध करेंगे.

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उन्होंने कहा, 'मैं पुलिस जांच को पूरी तरह से खारिज करता हूं क्योंकि मेरा बेटा कभी भी आतंकवादी या उसका समर्थक नहीं हो सकता.' लतीफ को 2007 में लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकवादी को मारने के लिए राज्य पुरस्कार मिला है. इसके अलावा अपने गूल-संगलदान ब्लॉक से आतंकवाद के सफाए के लिए सुरक्षा बलों की मदद को लेकर भी उन्हें कई प्रशंसा पत्र मिले हैं. लतीफ ने कहा कि वह अपने बेटे का शव लौटाए जाने के लिए वकील दीपिका सिंह राजावत के जरिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर रहे हैं.  राजावत ने कहा कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और वे शव की वापसी के लिए बृहस्पतिवार को सुबह रजिस्ट्री को याचिका देंगे.

एसआईटी प्रमुख डीआईजी सुजीत के सिंह, ने मंगलवार को सुरक्षा बलों को वस्तुतः क्लीन चिट दे दी, लेकिन कहा कि अगर कोई अन्य सबूत सामने आता है तो टीम अपने निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए तैयार है. सिंह ने श्रीनगर में पत्रकारों से कहा, 'हमारी अब तक की जांच से पता चला है कि डॉ. मुदासिर गुल को इमारत के अंदर छिपे विदेशी आतंकवादी ने मार दिया था क्योंकि उनका शव अटारी से बरामद किया गया था. सुरक्षा बल तलाशी या उसके बाद के अटारी पर नहीं गए थे.' जांच का विवरण देते हुए सिंह ने कहा कि जांच से पता चला है कि डॉ. गुल के कर्मचारी आमिर माग्रे का विदेशी आतंकवादी बिलाल भाई के साथ घनिष्ठ संबंध था जो भागने की कोशिश में मारा गया था.

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उन्होंने कहा, ‘‘ मोहम्मद अल्ताफ भट (मकान मालिक) और आमिर सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में फंस जाने से मारे गये क्योंकि उन्हें विदेशी आतंकवादी ने मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. यह इस बात से पुष्ट होती है कि अल्ताफ दरवाजे के बाहर मिला (उसे गोलियां लगी थीं) तथा आमिर कुछ और कदम तक जा पाया था. विदेशी आतंकवादी का शव 83 फुट दूर मिला था.'' मकान मालिक की बेटी सहित गवाहों ने हालांकि विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर दावा किया था कि उसके पिता और अन्य लोगों को सेना और पुलिस कर्मियों ने घर में धकेल दिया था और इसे एक हत्या करार दिया. इस बीच, हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने जांच के बारे में बयानबाजी को लेकर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी.

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