वाराणसी:
जहां तक संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए प्रति वर्ष मिलने वाले पांच करोड़ रुपये खर्च करने का मामला है, भारत के अधिकतर सांसदों का रिकॉर्ड एक जैसा है, खराब है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में इस रिकॉर्ड को बदलकर दिखाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष नवंबर में ही विभिन्न मदों में खर्च के प्रस्ताव प्रशासन को भेज दिए थे, और उम्मीद जताई थी कि सभी काम अगले माह यानि जून तक पूरे हो जाएंगे। उनकी ख्वाहिश बहुत सीधी-सी है - संसदीय क्षेत्र में मौजूद पांचों विधानसभा क्षेत्रों में बराबर-बराबर हैन्डपम्प, सोलर पम्प और लाइटें लगाई जाएं।
वाराणसी के साथ-साथ नई दिल्ली में बैठे उनके सहायक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों से भी संपर्क कर उन्हें मनाने की कोशिश करते आ रहे हैं, ताकि वे भी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्कीम के तहत 4,700 वर्ष पुरानी बनारस नगरी में कुछ विकास कार्य करें।
तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ओएनजीसी) को वाराणसी के सभी कुण्डों और तालाबों-सरोवरों के सौंदर्यीकरण के लिए तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा ओएनजीसी ही शहर में लागू की जाने वाली जल-एटीएम योजना के लिए भी खर्च करेगी, जिसकी मशीनें लगाने की जिम्मेदारी यूरेका फोर्ब्स को दी गई है।
नगर में खतरनाक तरीके से फैलीं और लटकी हुई बिजली की तारों को बदलने का जिम्मा एक बिजली कंपनी को दिया गया है, जो इस काम पर 572 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भी शहर की सड़कों पर से भीड़ का दबाव कम करने के लिए 15-किलोमीटर की रिंग रोड बनाने जा रहा है। उनकी योजना शहर की सभी सड़कों को भी कम से कम 60 मीटर चौड़ा बनाने की है, और उनका काम दिखने भी लगा है।
इन सभी योजनाओं के अलावा शहर के लिए सबसे महत्वाकांक्षी योजना संकरी गलियों के लिए जानी जाने वाली मंदिरों की प्राचीन नगरी में मेट्रो सेवा शुरू करने की है, जिसे बहुत-से लोग 'असंभव' कहकर खारिज कर चुके हैं, लेकिन रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) ने 25 किलोमीटर की पहली अंडरग्राउंड (भूमिगत) मेट्रो लाइन के लिए योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं।
यह पूछे जाने पर कि इसके सचमुच बन पाने की कितनी संभावना है, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रांजल यादव ने कहा कि योजनाएं बनाने में जुटे लोगों का कहना है कि यदि वे इसे दिल्ली के भारी भीड़ वाले जामा मस्जिद इलाके में बना सकते हैं, तो वे वाराणसी में भी कर सकते हैं।
शहर के बीजेपी के मेयर रामगोपाल मोहले ने कहा, "हम वाराणसी को क्योटो (जापानी शहर) बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें उनसे सीखना चाहिए, और अपनी ऐतिहासिक नगरी में उन बातों को लागू करना चाहिए..." दरअसल, पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान वाराणसी और क्योटो के बीच 'सिस्टर सिटी कोऑपरेशन' समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष नवंबर में ही विभिन्न मदों में खर्च के प्रस्ताव प्रशासन को भेज दिए थे, और उम्मीद जताई थी कि सभी काम अगले माह यानि जून तक पूरे हो जाएंगे। उनकी ख्वाहिश बहुत सीधी-सी है - संसदीय क्षेत्र में मौजूद पांचों विधानसभा क्षेत्रों में बराबर-बराबर हैन्डपम्प, सोलर पम्प और लाइटें लगाई जाएं।
वाराणसी के साथ-साथ नई दिल्ली में बैठे उनके सहायक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों से भी संपर्क कर उन्हें मनाने की कोशिश करते आ रहे हैं, ताकि वे भी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्कीम के तहत 4,700 वर्ष पुरानी बनारस नगरी में कुछ विकास कार्य करें।
तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ओएनजीसी) को वाराणसी के सभी कुण्डों और तालाबों-सरोवरों के सौंदर्यीकरण के लिए तैयार कर लिया गया है। इसके अलावा ओएनजीसी ही शहर में लागू की जाने वाली जल-एटीएम योजना के लिए भी खर्च करेगी, जिसकी मशीनें लगाने की जिम्मेदारी यूरेका फोर्ब्स को दी गई है।
नगर में खतरनाक तरीके से फैलीं और लटकी हुई बिजली की तारों को बदलने का जिम्मा एक बिजली कंपनी को दिया गया है, जो इस काम पर 572 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भी शहर की सड़कों पर से भीड़ का दबाव कम करने के लिए 15-किलोमीटर की रिंग रोड बनाने जा रहा है। उनकी योजना शहर की सभी सड़कों को भी कम से कम 60 मीटर चौड़ा बनाने की है, और उनका काम दिखने भी लगा है।
इन सभी योजनाओं के अलावा शहर के लिए सबसे महत्वाकांक्षी योजना संकरी गलियों के लिए जानी जाने वाली मंदिरों की प्राचीन नगरी में मेट्रो सेवा शुरू करने की है, जिसे बहुत-से लोग 'असंभव' कहकर खारिज कर चुके हैं, लेकिन रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) ने 25 किलोमीटर की पहली अंडरग्राउंड (भूमिगत) मेट्रो लाइन के लिए योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं।
यह पूछे जाने पर कि इसके सचमुच बन पाने की कितनी संभावना है, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रांजल यादव ने कहा कि योजनाएं बनाने में जुटे लोगों का कहना है कि यदि वे इसे दिल्ली के भारी भीड़ वाले जामा मस्जिद इलाके में बना सकते हैं, तो वे वाराणसी में भी कर सकते हैं।
शहर के बीजेपी के मेयर रामगोपाल मोहले ने कहा, "हम वाराणसी को क्योटो (जापानी शहर) बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें उनसे सीखना चाहिए, और अपनी ऐतिहासिक नगरी में उन बातों को लागू करना चाहिए..." दरअसल, पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान वाराणसी और क्योटो के बीच 'सिस्टर सिटी कोऑपरेशन' समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
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