तीस्ता सीतलवाड़ की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति द्वारा संचालित दो गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को कथित रूप से विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) का उल्लंघन करने के मामले में गृह मंत्रालय ने नोटिस भेजा है। इसका जवाब देने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है।
तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद द्वारा चलाए जाने वाले एनजीओ सबरंग ट्रस्ट और सिटिजंस फॉर जस्टिस एण्ड पीस (सीजेपी) को ये नोटिस जारी किए गए हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने इस साल अप्रैल में इन दोनों संगठनों के कार्यालयों में जाकर उनके रिकॉर्ड और खातों की जांच की थी। इसके बाद ये नोटिस जारी किए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि जांच में पाया गया कि दोनों एक पत्रिका 'कम्यूनलिज्म कॉमबैट' चलाते हैं और इसके सह-संपादक है। वे अपनी कंपनी सबरंग कम्युनिकेशंस एण्ड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड के मुद्रक और प्रकाशक भी हैं। उन्हें कथित रूप से विदेशी चंदा प्राप्त हुआ है।
विदेशी चंदा नियमन कानून के तहत किसी भी पंजीकृत समाचार पत्र का कोई भी संवाददाता, कॉलम लिखने वाला, कार्टूनिस्ट, संपादक, मालिक, मुद्रक अथवा प्रकाशक विदेशी योगदान को स्वीकार नहीं कर सकता है।
इनका दूसरा एनजीओ सीजेपी है। यह गुजरात में 2002 में हुए दंगो के शिकार लोगों के मामलों को लड़ने में उनकी मदद करता रहा है। संगठन को 2008-09 से लेकर 2013-14 के बीच 1.18 करोड़ रुपये की विदेशी सहायता मिली है। नोटिस के मुताबिक इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक राशि यानी करीब 95 लाख रुपये कानूनी सहायता पर खर्च किए गए।
एनजीओ का पंजीकरण जहां एक तरफ 'शैक्षणिक और आर्थिक कार्यों' के लिए किया गया था, वहीं इसे कानूनी सहायता जैसी गतिविधियों के लिए विदेशी सहायता प्राप्त हुई है, जो कि 'सामाजिक' कार्यों के तहत आती है। इस लिहाज से एनजीओ ने एफसीआरए नियमों का उल्लंघन किया है।
संगठन के बिल-चालान की जांच में पाया गया कि सबरंग ट्रस्ट ने विदेशी चंदों के लिए खोले गए खातों से सिटी बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 12 लाख रुपये का भुगतान किया, जो सीतलवाड़ और आनंद के क्रेडिट कार्ड की सुविधा के एवज में किया गया। गृह मंत्रालय के नोटिस में कहा गया है, "एफसीआरए 2010 के प्रावधानों के तहत विदेशी सहायता का इस्तेमाल ऐसे काम के लिए किया गया, जिसकी अनुमति नहीं है। इस लिहाज से इस एसोसिएशन ने एफसीआरए कानून की धारा 8 (1) ए का उल्लंघन किया है।"
गृह मंत्रालय की जांच में यह भी पाया गया कि आनंद ने लाहौर की यात्रा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पॉलिसी ली और इसके लिए धन सबरंग ट्रस्ट के खाते से चुकाया गया। यहां तक कि पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल) की बैठकों में भाग लेने के लिए किताबों और यात्रा पर जो खर्च किया गया, उसे भी सबरंग ट्रस्ट के खातों में डाल दिया गया। यह भी कानून का उल्लंघन है।
मंत्रालय की जांच भी यह भी पाया गया कि सबरंग ट्रस्ट ने कथित तौर पर 50 लाख रुपये की राशि को एससीपीपीएल को हस्तांतरित किया, जो कि एफसीआरए के तहत पंजीकृत नहीं है। एफसीआरए कानून के नियमों के तहत विदेशी चंदे से मिली राशि को गैर-एफसीआरए खातों में हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद द्वारा चलाए जाने वाले एनजीओ सबरंग ट्रस्ट और सिटिजंस फॉर जस्टिस एण्ड पीस (सीजेपी) को ये नोटिस जारी किए गए हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने इस साल अप्रैल में इन दोनों संगठनों के कार्यालयों में जाकर उनके रिकॉर्ड और खातों की जांच की थी। इसके बाद ये नोटिस जारी किए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि जांच में पाया गया कि दोनों एक पत्रिका 'कम्यूनलिज्म कॉमबैट' चलाते हैं और इसके सह-संपादक है। वे अपनी कंपनी सबरंग कम्युनिकेशंस एण्ड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड के मुद्रक और प्रकाशक भी हैं। उन्हें कथित रूप से विदेशी चंदा प्राप्त हुआ है।
विदेशी चंदा नियमन कानून के तहत किसी भी पंजीकृत समाचार पत्र का कोई भी संवाददाता, कॉलम लिखने वाला, कार्टूनिस्ट, संपादक, मालिक, मुद्रक अथवा प्रकाशक विदेशी योगदान को स्वीकार नहीं कर सकता है।
इनका दूसरा एनजीओ सीजेपी है। यह गुजरात में 2002 में हुए दंगो के शिकार लोगों के मामलों को लड़ने में उनकी मदद करता रहा है। संगठन को 2008-09 से लेकर 2013-14 के बीच 1.18 करोड़ रुपये की विदेशी सहायता मिली है। नोटिस के मुताबिक इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक राशि यानी करीब 95 लाख रुपये कानूनी सहायता पर खर्च किए गए।
एनजीओ का पंजीकरण जहां एक तरफ 'शैक्षणिक और आर्थिक कार्यों' के लिए किया गया था, वहीं इसे कानूनी सहायता जैसी गतिविधियों के लिए विदेशी सहायता प्राप्त हुई है, जो कि 'सामाजिक' कार्यों के तहत आती है। इस लिहाज से एनजीओ ने एफसीआरए नियमों का उल्लंघन किया है।
संगठन के बिल-चालान की जांच में पाया गया कि सबरंग ट्रस्ट ने विदेशी चंदों के लिए खोले गए खातों से सिटी बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 12 लाख रुपये का भुगतान किया, जो सीतलवाड़ और आनंद के क्रेडिट कार्ड की सुविधा के एवज में किया गया। गृह मंत्रालय के नोटिस में कहा गया है, "एफसीआरए 2010 के प्रावधानों के तहत विदेशी सहायता का इस्तेमाल ऐसे काम के लिए किया गया, जिसकी अनुमति नहीं है। इस लिहाज से इस एसोसिएशन ने एफसीआरए कानून की धारा 8 (1) ए का उल्लंघन किया है।"
गृह मंत्रालय की जांच में यह भी पाया गया कि आनंद ने लाहौर की यात्रा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पॉलिसी ली और इसके लिए धन सबरंग ट्रस्ट के खाते से चुकाया गया। यहां तक कि पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल) की बैठकों में भाग लेने के लिए किताबों और यात्रा पर जो खर्च किया गया, उसे भी सबरंग ट्रस्ट के खातों में डाल दिया गया। यह भी कानून का उल्लंघन है।
मंत्रालय की जांच भी यह भी पाया गया कि सबरंग ट्रस्ट ने कथित तौर पर 50 लाख रुपये की राशि को एससीपीपीएल को हस्तांतरित किया, जो कि एफसीआरए के तहत पंजीकृत नहीं है। एफसीआरए कानून के नियमों के तहत विदेशी चंदे से मिली राशि को गैर-एफसीआरए खातों में हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
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