विज्ञापन
This Article is From Aug 30, 2018

जिन वाम विचारकों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान मनमोहन सरकार में ही हुई थी: गृह मंत्रालय

साल 2012 में यूपीए सरकार ने 128 से अधिक ऐसे संगठनों की पहचान की थी, जिनके संबंध माओवादियों से थे. साथ ही यूपीए सरकार ने कुछ ऐसे लोगों की भी पहचान की थी, जो माओवादियों के संगठन से जुड़े हुए थे.

जिन वाम विचारकों को गिरफ्तार किया गया, उनकी पहचान मनमोहन सरकार में ही हुई थी: गृह मंत्रालय
मंगलवार को पांच वाम विचारकों को गिरफ्तार किया गया.
नई दिल्ली: साल 2012 में यूपीए सरकार ने 128 से अधिक ऐसे संगठनों की पहचान की थी, जिनके संबंध माओवादियों से थे. साथ ही यूपीए सरकार ने कुछ ऐसे लोगों की भी पहचान की थी, जो माओवादियों के संगठन से जुड़े हुए थे. उनमें से ही कुछ लोगों को मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया. वाम विचारकों की गिरफ्तारी के बाद मोदी सरकार के खिलाफ में आवाजें मुखर हो रही हैं. यही वजह है कि गृह मंत्रालय के अधिकारी वाम विचारकों के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराने के लिए फैक्ट और फिगर्स के साथ सामने आए हैं. 

कौन हैं भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग?

मंत्रालय ने कहा कि साल 2012 मनमोहन सिंह सरकार ने ऐसे संगठनों की पहचान की थी और राज्य सराकारों को उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. मंत्रालय का कहना है कि यूपीए सरकार की लिस्ट में शामिल लोगों को ही छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया है.

सीनियर अधिकारी ने एनडीटीवी से कहा कि दिसंबर 2012 में यूपीए सरकार ने ऐसे 128 संगठनों की पहचान की थी, जिनके संबंध सीपीआई (माओवादी) से थे और मनमोहन सिंह सरकार ने ही सभी राज्यों को इन संगठनों और संगठन से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा था. वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, सुरेंद्र गाडलिंग, रना विल्सन, अरुण फेररिरया, वर्नोन गोंजाल्विस और महेश राउत के नाम भी यूपीए सरकार द्वारा जारी लिस्ट में थे और इन्हीं लोगों को पकड़ा गया है. 

भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार गिरफ़्तार

गौरतलब है कि एक ओर जहां, सुधा भारद्वाज, अरुण फेररिया और वर्नन गोंजाल्विस को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया, वहीं सुरेंद्र गाडलिंग और रोना विल्सन और महेश राउत को 6 जून को ही गिरफ्तार किया गया था. 

मंगलवार को गिरफ्तार हुए पांच लोगों में से फेररिया और गोंजाल्विस दो ऐसे हैं, जिन्हें 2007 में भी गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने कई साल जेल में भी बिताए थे. इसी तरह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पुलिस द्वारा भी पहले वरवरा को कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है. 

वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर राहुल का तंज, 'देश में अब सिर्फ इकलौते एनजीओ RSS के लिए जगह'

एक अधिकार ने बताया कि मौजूदा मामले में सीपीआई (माओवादी) के साथ इन व्यक्तियों के लिंक शामिल हैं, जो एक प्रतिबंधित संगठन है. जो लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने के भयानक उद्देश्य से काम करता है. और सीपीआई (माओवादी) को सपोर्ट करते हैं. साथ ही आगे उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति सीपीआई (माओवादी) के भूमिगत कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हिंसक कृत्यों की सहायता और उन्हें बढ़ावा देने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं. 

गृह मंत्रालय के मुताबिक, सीपीआई (माओवादी) जो लंबे समय से चले आ रहे जनसंघर्ष के जरिये राजनैतिक सत्ता हासिल करने के अपने अंतिम लक्ष्य को पाने की खातिर, शहरी आंदोलन को बेहद महत्व देती है, जिसके फलस्वरूप वह अपने आंदोलन के पक्ष में एक संयुक्त मोर्चे का गठन करना चाहती है. 

भीमा-कोरेगांव हिंसा में 5 लोगों की गिरफ्तारी पर बोलीं अरुंधति रॉय, 'इमरजेंसी की घोषणा होने वाली है'

अधिकारी ने कहा कि शहरी आंदोलन सीपीआई (माओवादी) को नेतृत्व और संसाधन प्रदान करने का मुख्य स्रोत है. शहरी केंद्रों में आपूर्ति, प्रौद्योगिकियों, विशेषज्ञता, सूचना और अन्य रसद समर्थन के की मुहैया कराने की जिम्मेदारी शहरी भूमिगत कार्यकर्ताओं पर होती है. 

गृह मंत्रालय ने अपने पक्ष को मजबूती देने के लिए कुछ आंकड़े भी प्रस्तुत किये. 2001 से अब तक सीपीआई (माओवादी) ने 6,956 नागरिक और 2,517 सुरक्षाकर्मी की हत्या की है. नक्सली हिंसा ने देश के कुछ हिस्सों में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया है और विकास गतिविधियों को रोक दिया है. 

VIDEO: मिशन 2019: 'असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है'

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com