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This Article is From Jan 28, 2021

नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना, पैंट की ज़िप खोलना, पॉक्सो के तहत यौन हमला नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा द्वारा स्किन टू स्किन (Skin to Skin Contact) फैसले के बाद बच्चों से यौन अपराध पर बॉम्बे हाईकोर्ट का एक और फैसला आया है. कोर्ट के मुताबिक- नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना, POCSO के तहत यौन हमला नहीं  है. ये IPC की धारा 354 के तहत  यौन उत्पीड़न के तहत अपराध है 

नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना, पैंट की ज़िप खोलना, पॉक्सो के तहत यौन हमला नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच ने यौन अपराध पर ये फैसला सुनाया है (फाइल फोटो)
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Summary is AI generated, newsroom reviewed.
हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना, POCSO के तहत यौन हमला नहीं
ये IPC की धारा 354 के तहत यौन उत्पीड़न के तहत अपराध है
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा द्वारा स्किन टू स्किन (Skin to Skin Contact) फैसले के बाद बच्चों से यौन अपराध पर बॉम्बे हाईकोर्ट का एक और फैसला आया है. कोर्ट के मुताबिक- नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना, POCSO के तहत यौन हमला नहीं  है. ये IPC की धारा 354 के तहत  यौन उत्पीड़न के तहत अपराध है 
 

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच का फैसला 

जस्टिस  पुष्पा गनेदीवाला की एकल पीठ ने 50 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा 5 साल की लड़की से यौन कृत्य मामले में ये फैसला दिया है. निचली अदालत ने इसे पोक्सो की धारा 10 के तहत यौन हमले के तहत उसे 5 साल के सश्रम कारावास और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी . लड़की की मां ने शिकायत दी थी कि आरोपी की पैंट की ज़िप खुली हुई थी, और उसकी बेटी के हाथ उसके हाथ में थे. अदालत ने यौन हमले की परिभाषा में " शारीरिक संपर्क" शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका अर्थ है "प्रत्यक्ष शारीरिक संपर्क-यानी यौन प्रवेश के बिना स्किन- टू -स्किन- कॉन्टेक्ट." 

अदालत ने कहा कि ये मामला IPC की धारा 354A (1) (i) के तहत आता है इसलिए, पॉक्सो अधिनियम की धारा 8, 10 और 12 के तहत सजा को रद्द किया गयाआरोपी को आईपीसी की धारा 354A (1) (i)  के तहत दोषी पाया गया, जिसमें अधिकतम 3 साल की कैद का प्रावधान है.अदालत ने माना कि अभियुक्त द्वारा पहले से ही 5 महीने की कैद की सजा अपराध के लिए पर्याप्त सजा है. 

स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट वाली थ्योरी का एक और केस

इससे पहले 19 जनवरी को इसी बेंच ने माना है कि ' स्किन- टू -स्किन- कॉन्टेक्ट ‘ के बिना बच्ची की ब्रेस्ट को टटोलना भारतीय दंड संहिता के तहत छेड़छाड़ होगा, लेकिन यौन अपराधों  से बच्चों के संरक्षण अधिनियम पॉक्सो के तहत 'यौन हमले' का गंभीर अपराध नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला

हालांकि, इस मामले में फैसले की कड़ी आलोचना हुई . बुधवार को भारत के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा. एजी ने कहा कि निर्णय "अभूतपूर्व" है और "खतरनाक मिसाल" स्थापित करेगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्णय के अनुसार पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोपी के बरी होने पर रोक लगा दी है.

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