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This Article is From Mar 17, 2022

हाईकोर्ट ने नागपुर जेल सुपरिंटेंडेट को माना अवमानना का दोषी, 7 दिन जेल की सजा सुनाई

जस्टिस विनय देशपांडे और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने अपने आदेश में नागपुर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक अनूप कुमरे पर पांच हजार रुपए जुर्माना भी लगाया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए 10 सप्ताह का समय दिया.

हाईकोर्ट ने नागपुर जेल सुपरिंटेंडेट को माना अवमानना का दोषी, 7 दिन जेल की सजा सुनाई
प्रतीकात्‍मक फोटो
नागपुर:

बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने अदालत की अवमानना के अपराध में केंद्रीय कारागार के अधीक्षक (jail superintendent)को सात दिन कारावास की सजा सुनाई है.जस्टिस विनय देशपांडे और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने बुधवार को दिए अपने आदेश में नागपुर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक अनूप कुमरे पर पांच हजार रुपए जुर्माना भी लगाया और सुप्रीम कोर्ट  का दरवाजा खटखटाने के लिए उन्हें 10 सप्ताह का समय दिया. अदालत ने कैदी हनुमान पेंडम की याचिका पर यह फैसला सुनाया. पेंडम ने आपातकालीन परोल (Emergency parole)की उसकी अर्जी कुमरे द्वारा खारिज किए जाने के बाद पिछले साल जुलाई में याचिका दायर की थी.

मामले में न्यायमित्र वकील फिरदौस मिर्जा ने बताया कि पेंडम ने महाराष्ट्र सरकार के नियम के तहत कोविड-19 के मद्देनजर 2020 में आपातकालीन पैरोल के लिए अर्जी दी थी, लेकिन अधीक्षक ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता इससे पहले पैरोल के दौरान 14 दिन तक फरार रहा था. अदालत ने मिर्जा को मामले का अध्ययन करने के लिए न्यायमित्र बनाया था और कारागार अधीक्षक को शपथपत्र दाखिल करके कोविड-19 के दौरान आपातकालीन पैरोल की नीति के बाद उनके द्वारा पारित सभी आदेशों की जानकारी देने का निर्देश दिया.कुमरे ने अपने हलफनामे में बताया कि 63 कैदियों की पैरोल मंजूर की गई और 90 अन्य कैदियों को नियमों के अनुसार इसके लिए पात्र नहीं पाए जाने के बाद आपातकालीन पैरोल से वंचित रखा गया. उन्होंने उन छह कैदियों का विवरण भी प्रस्तुत किया, जो पहले पैरोल मिलने के बाद देर से कारागार पहुंचे.

मिर्जा ने जिक्र किया कि जिन 63 कैदियों की पैरोल मंजूर की गई, उनमें एक ऐसा कैदी था, जो इससे पहले मिली पैरोल की अवधि समाप्त होने के सात दिन बाद कारावास पहुंचा था.अधीक्षक के शपथपत्र में विरोधाभास पाए जाने के बाद अदालत ने नागपुर पुलिस आयुक्त को इसकी जांच करने का निर्देश दिया और अतिरिक्त मुख्य सचिव (कारागार) को विभागीय जांच शुरू करने का आदेश दिया गया था.पुलिस उपायुक्त चिन्मय पंडित ने दो दिसंबर, 2021 को एक जांच रिपोर्ट में बताया कि कुमरे ने आपातकालीन कोविड-19 पैरोल पर कैदियों को रिहा करने संबंधी राज्य की उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों का पालन करने में असंगतता बरती और 12 मई, 2021 से 16 अगस्त, 2021 तक कम से कम 35 पात्र कैदियों को पैरोल नहीं दी, जबकि कुछ अपात्र कैदियों की पैरोल मंजूर की गई.पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया कि कुमरे इस प्रकार की अनियमितताओं को उचित ठहराने में असफल रहे हैं और उन्हें आपातकालीन पैरोल पर कैदियों को रिहा करने के लिए समान प्रक्रिया अपनाने के अदालत के आदेश का पालन नहीं करने पर अदालत की अवमानना का दोषी पाया जाता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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