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This Article is From Apr 08, 2020

हेल्थकेयर स्टाफ पहली पंक्ति के कोरोना वारियर, उनकी सुरक्षा जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

COVID-19 मरीजों के उपचार में जुटे डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ को PPE व सुरक्षा उपकरण देने की याचिका पर हुई सुनवाई

हेल्थकेयर स्टाफ पहली पंक्ति के कोरोना वारियर, उनकी सुरक्षा जरूरी : सुप्रीम कोर्ट
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

Coronavirus:  COVID-19 से लड़ाई लड़ रहे डॉक्टरों और हेल्थकेयर कर्मियों के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया है. मरीजों के उपचार में जुटे डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ को PPE और सुरक्षा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार कोरोना के चलते इसके उपचार में जुटे डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बनाई गई ग्रेड के मुताबिक पर्सनल प्रोटेक्शन इक्वीमेंट ( PPE), सूट, मेडिकल / नाइट्राइल दस्ताने, स्टार्च अप्पारेल्स, मेडिकल मास्क, चश्मे, चेहरे की ढाल, शू कवर, हेड कवर और कवरल / गाउन सुनिश्चित कराए. ये सभी हेल्थ वर्कर जिनमें डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, अन्य मेडिकल और पैरा मेडिकल प्रोफेशनल्स को न कि सिर्फ बड़े शहरों बल्कि टियर- 2 और टियर-3 शहरों में भी उपलब्ध कराया जाएं. 

कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार, संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों और संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अस्पतालों और उन स्थानों पर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराएं, जहां पर COVID-19 के मरीजों या संदिग्ध मरीजों को रखा गया है या क्वारंटीन किया गया है. बीमारी के लक्षणों का पता लगाने के लिए लोगों की जांच करने के लिए स्थानों पर जाने वाले डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों के लिए आवश्यक पुलिस सुरक्षा भी बढ़ाई जानी चाहिए. राज्य उन व्यक्तियों के खिलाफ भी आवश्यक कार्रवाई करेगा जो डॉक्टरों, चिकित्सा कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों द्वारा कर्तव्यों के प्रदर्शन के संबंध में किसी भी तरह की बाधा और अपराध करते हैं.

सरकार सुरक्षात्मक सूट और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा गियर के घरेलू उत्पादन को सक्षम बनाने सहित सभी विकल्पों कल्पों का पता लगाएगी. इसमें कपड़े (मास्क, सूट, टोपी, दस्ताने आदि) के उत्पादन के वैकल्पिक तरीकों की खोज और कच्चे माल के आवागमन की अनुमति शामिल है. इसके अलावा, सरकार इन्वेंट्री और घरेलू स्टॉक को बढ़ाने के लिए ऐसी सामग्रियों के निर्यात को प्रतिबंधित कर सकती है.

COVID-19 के मरीजों के उपचार में जुटे डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ को PPE व सुरक्षा उपकरण देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि डॉक्टर और हेल्थकेयर स्टॉफ पहली पंक्ति के कोरोना वारियर हैं, उनकी सुरक्षा जरूरी है. उनके परिवार की सुरक्षा भी उतनी ही अहम है. 

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार को लोगों से आगे के कदमों के बारे में सुझाव मांगने चाहिए. न केवल लॉकडाउन बल्कि घर से काम करने वाले लोगों के लिए, चिकित्सा उपचार के लिए और अर्थव्यवस्था के विभिन्न वर्गों के लिए नियामक तंत्र होना चाहिए. सरकार को PPE व अन्य जरूरी उपकरणों के उत्पादन के बारे में भी सोचना चाहिए. 

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डॉक्टर कोरोना वारियर हैं. उनकी सुरक्षा जरूरी है, ना केवल शारीरिक बल्कि पारिवारिक भी. डॉक्टरों के लिए होटलों में रहने का इंतजाम किया गया है. सरकार इसे लेकर सभी प्रयास कर रही है. PPE व अन्य का इंतजाम किया जा रहा है. अस्पतालों में सुरक्षा के लिए पुलिस पिकेट बनाई गई हैं. 

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने Coronavirus मरीजों के उपचार में जुटे डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने  SG तुषार मेहता से याचिका पर गौर करने और जवाब दाखिल करने को कहा था. 

दरअसल नागपुर की डॉक्टर जेरिल बनैत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि केंद्र सरकार को सभी डॉक्टरों व मेडिकल स्टॉफ को सुरक्षात्मक गियर मुहैया कराने के आदेश दिए जाएं. याचिका में कहा गया है कि कोरोना के चलते इसके उपचार में जुटे डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बनाए गए ग्रेड के मुताबिक पर्सनल प्रोटेक्शन इक्वीमेंट ( PPE) उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है. इनमें सूट, मेडिकल / नाइट्राइल दस्ताने, स्टार्च अप्पेरल्स, मेडिकल मास्क, चश्मे, चेहरे की ढाल, शू कवर, हेड कवर और कवरल / गाउन शामिल हैं. सभी हेल्थ वर्कर जिनमें डॉक्टर, नर्स, वार्ड बॉय, अन्य मेडिकल और पैरा मेडिकल प्रोफेशनल्स को न सिर्फ बड़े शहरों बल्कि टियर - 2 और टियर - 3 शहरों में भी उपलब्ध कराया जाएं. 

याचिका में कहा गया है कि राज्यों को छोटे शहरों और अन्य शहरों में COVID-19 विशेष स्क्रीनिंग केंद्र स्थापित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं. स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत किया जाए और कोरोना की रोकथाम व नियंत्रण के लिए 25 जनवरी को जारी गाइडलाइन के मुताबिक कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं. 

कोरोना वायरस से लड़ रहे डॉक्टरों व स्टाफ को आवास, खाना व ट्रांसपोर्ट सुविधा देने के निर्देश देने की मांग भी की गई है. साथ ही निजी लैब में कोरोना के टेस्ट की रकम को भी कम करने के निर्देश मांगे गए हैं.

एक अन्य याचिका में कोरोना वायरस से लड़ रहे डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस व सुरक्षा बलों के लिए PPE और मास्क आदि मुहैया कराने की याचिका दाखिल की गई है. एक्टिविस्ट अमित साहनी ने याचिका में कहा है कि हेल्थकेयर पेशेवर जिनमें डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, तकनीशियन और सभी अस्पतालों के अन्य स्टाफ के साथ-साथ पुलिस, सैन्य और अर्ध सैन्य कार्मिक शामिल हैं, जो देश भर के सभी अस्पतालों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने में तैनात हैं. उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट जिसमें बॉडी कवर, एन -95 मास्क और 2-प्लाई / 3-प्लाई सर्जिकल मास्क आदि शामिल हैं, मुहैया कराने के आदेश दिए जाएं. साथ ही उक्त स्वास्थ्य उपकरणों की कमी की निगरानी करने और बड़े सार्वजनिक हित में दैनिक आधार पर इसे हल करने के लिए केंद्र सरकार को आदेश जारी करें.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि सरकारी और निजी डॉक्टरों के वेतन में कटौती नहीं की जा रही है. हम सभी राज्यों को पत्र लिखेंगे कि किसी भी सरकारी डॉक्टर या कर्मचारियों का वेतन नहीं काटा जाए. मास्क और पीपीई खरीदने के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं हो. अगर वे ऐसा कुछ कर रहे हैं तो हम पुलिस भेजेंगे. एक संस्थागत प्रतिक्रिया के रूप में हम यह कर रहे हैं.

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