संजय निरुपम का फाइल फोटो
मुंबई:
राजनीतिक संन्यास के बहाने कांग्रेस से दूर हो चुके पूर्व पार्टी महासचिव गुरुदास कामत के समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा है। कामत समर्थकों के निशाने पर हैं मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम। मंगलवार को कामत के चेंबूर स्थित घर के बाहर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा रहा। लेकिन, कामत के घर के दरवाज़े किसी के लिए नहीं खुले। कार्यकर्ता कामत के संगठन से इस्तीफ़े के खिलाफ़ नारेबाज़ी करते रहे। लेकिन उसपर कामत की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी।
इस बीच कामत समर्थकों के बीच पहुंचे पूर्व विधायक राजहंस सिंह ने मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष को हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया। वो कौन है जिसने कामत की जमीन कमजोर करने की कोशिश की? एनडीटीवी इंडिया के इस सवाल पर सिंह ने जोर देकर इस बात के लिए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया। वे कह गए कि ऐसे बाहरी लोग, जिन्हें कांग्रेस की विचारधारा पता नहीं, वे आज सालों से पार्टी के साथ वफ़ादार रहे नेता को दबाना चाहते हैं, जिससे कामत नाराज़ हैं।
उल्लेखनीय है कि संजय निरुपम कभी शिवसेना के सांसद थे। उन्होंने शिवसेना से मिली राज्यसभा सदस्यता छोड़कर कांग्रेस में प्रवेश किया था।
इसके अलावा कांग्रेस के एक और पूर्व विधायक और पार्टी की नेता प्रिया दत्त के कभी समर्थक रहे कृष्णा हेगड़े ने भी निरुपम के काम करने के तरीके की आलोचना की है। हेगड़े ने सीधे आलाकमान को ख़त लिखकर निरुपम के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।
हेगड़े ने ख़त में लिखा है कि ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के समय राय नहीं ली गई। निष्ठावान और प्रभावी वरिष्ठ नेताओं को उनका हक़ मिलना चाहिए। फैसले सर्वसम्मति से हों तो बेहतर होगा। आगामी बीएमसी चुनाव से पहले पार्टी में एकजुटता लाना जरूरी है।
इस पूरे प्रकरण पर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने चुप्पी साध ली है। उनके दफ़्तर और स्टाफ़ से संपर्क करने के बावजूद निरुपम की इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
इस बीच कामत समर्थकों के बीच पहुंचे पूर्व विधायक राजहंस सिंह ने मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष को हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया। वो कौन है जिसने कामत की जमीन कमजोर करने की कोशिश की? एनडीटीवी इंडिया के इस सवाल पर सिंह ने जोर देकर इस बात के लिए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया। वे कह गए कि ऐसे बाहरी लोग, जिन्हें कांग्रेस की विचारधारा पता नहीं, वे आज सालों से पार्टी के साथ वफ़ादार रहे नेता को दबाना चाहते हैं, जिससे कामत नाराज़ हैं।
उल्लेखनीय है कि संजय निरुपम कभी शिवसेना के सांसद थे। उन्होंने शिवसेना से मिली राज्यसभा सदस्यता छोड़कर कांग्रेस में प्रवेश किया था।
इसके अलावा कांग्रेस के एक और पूर्व विधायक और पार्टी की नेता प्रिया दत्त के कभी समर्थक रहे कृष्णा हेगड़े ने भी निरुपम के काम करने के तरीके की आलोचना की है। हेगड़े ने सीधे आलाकमान को ख़त लिखकर निरुपम के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।
हेगड़े ने ख़त में लिखा है कि ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति के समय राय नहीं ली गई। निष्ठावान और प्रभावी वरिष्ठ नेताओं को उनका हक़ मिलना चाहिए। फैसले सर्वसम्मति से हों तो बेहतर होगा। आगामी बीएमसी चुनाव से पहले पार्टी में एकजुटता लाना जरूरी है।
इस पूरे प्रकरण पर मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने चुप्पी साध ली है। उनके दफ़्तर और स्टाफ़ से संपर्क करने के बावजूद निरुपम की इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
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