टीकमगढ़:
पानी पर सुरक्षागार्ड्स की तैनाती, ये बूंद बूंद को तरसते बुंदेलखंड की बात है जहां पानी को लेकर टीकमगढ़ के नागरिक प्रशासन और यूपी के किसानों के बीच जंग से हालात हो गए हैं। हालत यह है कि हाथ में बंदूक लिए पहरेदार पानी की रखवाली कर रहे हैं ताकि किसान पानी चुरा ना लें।
पानी को लेकर हैरान करने वाली ये हकीक़त मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा की है। टीकमगढ़ प्रशासन के मुताबिक पानी की किल्लत इतनी ज्यादा है कि उन्हें निजी गार्ड्स रखने पर मजबूर होना पड़ा।
एक सुरक्षा गार्ड ने बातया कि 'किसान रात में आते हैं और बांध के गेट खोलकर पानी लेने की कोशिश करते हैं। हम उन्हें रोकते हैं। उन्होंने हमपर हमला भी किया है लेकिन कामयाब नहीं हो सके क्योंकि वो बंदूकों से डरते हैं।'
सिर्फ पीने के लिए बचा है पानी...
जमुनिया नदी दोनों राज्यों को अलग करती है। आलम यह है कि पानी सिर्फ पीने के लिए ही बचा है, खेती के लिए नहीं। सूखे के बिगड़ते हालात के साथ मध्य प्रदेश के बारी घाट डैम को छोड़ दूसरे जलाशय सूखते गए। नगरपालिका का कहना है कि अपने खेतों के लिए यूपी के किसानों की पानी चोरी को देखते हुए इतने कड़े कदम उठाने पड़े हैं।
टीकमगढ़ के मुख्य नगरपालिका अधिकारी शंकर त्रिवेदी ने बताया, 'हमारे पास केवल बारी घाट बांध में ही पानी बचा है जो 6-7 किेलोमीटर के इलाके में फैला है और हमे प्रति दिन करीब 50 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। इसलिए किसानों को खेती के लिए पानी का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए हमे दो बंदूकधारी तैनात करने पड़े।'
हथियारबंद सुरक्षा गार्ड क्यों?
वहीं नदी से सटे यूपी के किसान हथियारबंद गार्ड्स का विरोध कर रहे हैं। यूपी के एक किसान ने कहा, 'बड़ी संख्या में अधिकारी आए और मेरे साथ बदसलूकी की और कहा कि मैं पानी चुरा रहा हूं। उसके बाद उन्होंने मेरे पानी के पंप को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
पूरी सीमा पर यही हाल
मध्य प्रदेश प्रशासन किसानों के साथ जोर जबरदस्ती से तो इंकार कर रहा है लेकिन ये कबूल करता है कि पानी की अवैध निकासी के लिए बिछाई पाइपलाइनें हटाई गई हैं। जाहिर है इस हालात में फौरन कुछ किए जाने की जरूरत है ताकि इन बंदूकों को चलने से रोका जा सके।
पानी को लेकर हैरान करने वाली ये हकीक़त मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा की है। टीकमगढ़ प्रशासन के मुताबिक पानी की किल्लत इतनी ज्यादा है कि उन्हें निजी गार्ड्स रखने पर मजबूर होना पड़ा।
एक सुरक्षा गार्ड ने बातया कि 'किसान रात में आते हैं और बांध के गेट खोलकर पानी लेने की कोशिश करते हैं। हम उन्हें रोकते हैं। उन्होंने हमपर हमला भी किया है लेकिन कामयाब नहीं हो सके क्योंकि वो बंदूकों से डरते हैं।'
सिर्फ पीने के लिए बचा है पानी...
जमुनिया नदी दोनों राज्यों को अलग करती है। आलम यह है कि पानी सिर्फ पीने के लिए ही बचा है, खेती के लिए नहीं। सूखे के बिगड़ते हालात के साथ मध्य प्रदेश के बारी घाट डैम को छोड़ दूसरे जलाशय सूखते गए। नगरपालिका का कहना है कि अपने खेतों के लिए यूपी के किसानों की पानी चोरी को देखते हुए इतने कड़े कदम उठाने पड़े हैं।
टीकमगढ़ के मुख्य नगरपालिका अधिकारी शंकर त्रिवेदी ने बताया, 'हमारे पास केवल बारी घाट बांध में ही पानी बचा है जो 6-7 किेलोमीटर के इलाके में फैला है और हमे प्रति दिन करीब 50 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। इसलिए किसानों को खेती के लिए पानी का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए हमे दो बंदूकधारी तैनात करने पड़े।'
हथियारबंद सुरक्षा गार्ड क्यों?
वहीं नदी से सटे यूपी के किसान हथियारबंद गार्ड्स का विरोध कर रहे हैं। यूपी के एक किसान ने कहा, 'बड़ी संख्या में अधिकारी आए और मेरे साथ बदसलूकी की और कहा कि मैं पानी चुरा रहा हूं। उसके बाद उन्होंने मेरे पानी के पंप को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
पूरी सीमा पर यही हाल
मध्य प्रदेश प्रशासन किसानों के साथ जोर जबरदस्ती से तो इंकार कर रहा है लेकिन ये कबूल करता है कि पानी की अवैध निकासी के लिए बिछाई पाइपलाइनें हटाई गई हैं। जाहिर है इस हालात में फौरन कुछ किए जाने की जरूरत है ताकि इन बंदूकों को चलने से रोका जा सके।
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