5 अक्टूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी
नई दिल्ली:
गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर राज्य के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 19 नवंबर को सुनवाई की जाएगी. इस मामले में आरोपी मोदी और अन्य को एसआईटी की क्लीन चिट को बरकरार रखने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को जकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मंगलवार को जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ ने कहा कि वो इस मामले पर 19 नवंबर को सुनवाई करेंगे.
बता दें, दरअसल 5 अक्टूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी. जकिया जाफरी ने कोर्ट से कहा था कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसे हाईकोर्ट ने मानने से मना कर दिया था. कोर्ट ने उनसे कहा था कि वह आगे इसकी अपील कर सकती हैं.
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याचिका में साल 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. दिवंगत पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस' ने दंगों के पीछे ‘‘बड़ी आपराधिक साजिश'' के आरोपों के संबंध में नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि मोदी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं नौकरशाहों सहित 59 अन्य को साजिश में कथित रूप से शामिल होने के लिए आरोपी बनाया जाए. इसमें इस मामले की नए सिरे से जांच के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश की भी मांग की गई थी.
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बता दें, दरअसल 5 अक्टूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने कहा था कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी. जकिया जाफरी ने कोर्ट से कहा था कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश थी, जिसे हाईकोर्ट ने मानने से मना कर दिया था. कोर्ट ने उनसे कहा था कि वह आगे इसकी अपील कर सकती हैं.
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याचिका में साल 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के संबंध में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी. दिवंगत पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस' ने दंगों के पीछे ‘‘बड़ी आपराधिक साजिश'' के आरोपों के संबंध में नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि मोदी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं नौकरशाहों सहित 59 अन्य को साजिश में कथित रूप से शामिल होने के लिए आरोपी बनाया जाए. इसमें इस मामले की नए सिरे से जांच के लिए उच्च न्यायालय के निर्देश की भी मांग की गई थी.
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