विज्ञापन
This Article is From Dec 07, 2016

गुजरात : कैशलेस के दावों के बीच कैश की कमी से छोटे उद्योगों पर पड़ रही है मार

गुजरात : कैशलेस के दावों के बीच कैश की कमी से छोटे उद्योगों पर पड़ रही है मार
प्रतीकात्मक फोटो.
अहमदाबाद: नोटबंदी या विमुद्रीकरण को एक महिना होने आया है लेकिन गुजरात में छोटे उद्योगों पर नोटबंदी की मार का असर अब भी दिख रहा है. उद्योगों ने कामगारों की संख्या कम कर दी है. मजदूरों को भुगतान नहीं हो पा रहा है क्योंकि नगद की कमी है और मजदूरों के बैंक खाते नहीं हैं.

नटवर हिरालाल पिछले कई दिनों से बेरोजगार हैं. वे सूरत के पास किम में जिस टेक्सटाइल यूनिट में काम करते हैं वह सिर्फ 40 प्रतिशत लोगों से ही चल रहा है. विमुद्रीकरण के बाद उठी कैश समस्या की वजह से ज्यादातर यूनिटों में 30 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को काम से हटा दिया गया है. कई गांव चले गए हैं. कई काम की तलाश में अब भी बने हुए हैं.

पूरे राज्य में टेक्सटाइल, डायस्टफ, केमीकल, हीरा उद्योग जैसे कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं क्योंकि इनमें ज्यादातर कारोबार कैश में ही होता था. 10 लाख लोगों को रोजगार देने वाले करीब 15,000 टेक्सटाइल यूनिटों में यही हालात हैं. जीतू वखारीया की पावरलूम यूनिट भी 50 प्रतिशत लोगों से ही चल रही है. उन्होंने अपने कर्मचारियों के बैंक खाते खुलवाने की शुरुआत तो की लेकिन कई मुश्किलें हैं. ज्यादातर मजदूरों के पास बैंक खातों के लिए जरूरी दस्तावेज जैसे कि ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड वगैरह नहीं हैं. इसलिए आयकर विभाग से मदद करने के लिए अपील की जा रही है.

एक टेक्सटाइल यूनिट में बतौर सिक्युरिटी गार्ड काम करने वाले शम्भुनाथ सिंह पिछले एक सप्ताह से अपनी तनख्वाह का इंतजार कर रहे हैं. फेक्ट्री के मालिक चेक से तनख्वाह देने को तैयार हैं लेकिन शम्भुनाथ सिंह का बैंक एकाउंट नहीं है. लिहाजा उन्हें कैश का इंतजार करना पड़ेगा. जानकार कहते हैं जब तक बाजार में लिक्वीडिटी नहीं आएगी उद्योगों का कामकाज पटरी पर नहीं आ पाएगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com