नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगले महीने यानी 1 नवंबर से दिल्ली होकर गुजरने वाली कमर्शियल गाड़ियों से ग्रीन टैक्स वसूला जाना है, पर ठीक पहले एक नया मोड़ तब आ गया जब दिल्ली नगर निगम की ओर से दिल्ली बार्डर पर टोल वसूलने वाली एक कंपनी सुप्रीम कोर्ट आ गई है।
कंपनी के पास संसाधनों की कमी है
इस कंपनी का कहना है कि हम 1 नवंबर से ग्रीन टैक्स नहीं वसूल सकते। मंगलवार को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने कंपनी के वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के सभी 127 एंट्री प्वाइंट पर आने वाली कार्मशियल गाड़ियों से टोल के साथ ग्रीन टैक्स भी वसूला जाए। लेकिन इसके लिए कंपनी के पास संसाधनों की कमी है।
तकनीकी उपकरणों और कंप्यूटरों के लिए चार करोड़ रुपये चाहिए। लिहाजा ग्रीन टैक्स वसूलने का काम किसी और को दिया जाए। इधर, एमसीडी ने भी आदेश में संशोधन को लेकर कोर्ट से गुजारिश की है कि टोल की वसूली कंपनी के लिए कानूनन बाध्यकारी बनाई जाए।
नगर निगम वसूली कर पैसा देगी दिल्ली सरकार को
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो मामले की जल्द ही सुनवाई करेगा। दरअसल प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर से दिल्ली की सीमा में आने वाले व्यावसायिक वाहनों से 700 से 1300 रुपये ग्रीन टैक्स वसूलने के आदेश दिए थे। इसके लिए कहा गया था कि एमसीडी ये टैक्स वसूलकर दिल्ली सरकार को देगी और दिल्ली सरकार इस राशि से पब्लिक ट्रांसपोर्ट समेत और विकास कार्य करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फिलहाल ये व्यवस्था चार महीने के लिए रहेगी।
दिल्ली सरकार और एमसीडी में तनातनी
हालांकि इस मामले का एक राजनीतिक पहलू भी है। एमसीडी में बीजेपी है और उसकी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से लगातार तनातनी रही है। ऐसे में ये तनातनी एक बार फिर सामने आती दिखाई दे रही है। जाहिर है मामला सुप्रीम कोर्ट का है और अब कोर्ट ही इसका हल भी निकालेगा।
कंपनी के पास संसाधनों की कमी है
इस कंपनी का कहना है कि हम 1 नवंबर से ग्रीन टैक्स नहीं वसूल सकते। मंगलवार को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने कंपनी के वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के सभी 127 एंट्री प्वाइंट पर आने वाली कार्मशियल गाड़ियों से टोल के साथ ग्रीन टैक्स भी वसूला जाए। लेकिन इसके लिए कंपनी के पास संसाधनों की कमी है।
तकनीकी उपकरणों और कंप्यूटरों के लिए चार करोड़ रुपये चाहिए। लिहाजा ग्रीन टैक्स वसूलने का काम किसी और को दिया जाए। इधर, एमसीडी ने भी आदेश में संशोधन को लेकर कोर्ट से गुजारिश की है कि टोल की वसूली कंपनी के लिए कानूनन बाध्यकारी बनाई जाए।
नगर निगम वसूली कर पैसा देगी दिल्ली सरकार को
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो मामले की जल्द ही सुनवाई करेगा। दरअसल प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर से दिल्ली की सीमा में आने वाले व्यावसायिक वाहनों से 700 से 1300 रुपये ग्रीन टैक्स वसूलने के आदेश दिए थे। इसके लिए कहा गया था कि एमसीडी ये टैक्स वसूलकर दिल्ली सरकार को देगी और दिल्ली सरकार इस राशि से पब्लिक ट्रांसपोर्ट समेत और विकास कार्य करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फिलहाल ये व्यवस्था चार महीने के लिए रहेगी।
दिल्ली सरकार और एमसीडी में तनातनी
हालांकि इस मामले का एक राजनीतिक पहलू भी है। एमसीडी में बीजेपी है और उसकी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से लगातार तनातनी रही है। ऐसे में ये तनातनी एक बार फिर सामने आती दिखाई दे रही है। जाहिर है मामला सुप्रीम कोर्ट का है और अब कोर्ट ही इसका हल भी निकालेगा।
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