जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट में जल्द ही एक बड़ा बदलाव हो सकता है। महिला और बाल कल्याण मंत्रालय ने कानून के तहत किशोरों की उम्र 18 साल से कम करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि किशोर अपराधी की उम्र अपराध की गंभीरता के हिसाब से भी तय हो। यानी क़त्ल या बलात्कार जैसे संगीन मामलों में शामिल किशोरों को कम उम्र में भी सज़ा हो सकती है।
इसके अलावा मेडिकल और विशेषज्ञों की राय से भी किशोर अपराधियों की उम्र तय होगी। इसको लेकर अलग−अलग मंत्रालयों में विचार−विमर्श शुरू हो चुका है। विचार−विमर्श में ये बात भी शामिल है कि किशोर अपराधियों को जुवेनाइल या रिमांड होम में रखना ठीक है या उनके लिए कोई और व्यवस्था की जाए।
16 दिसंबर के गैंगरेप के बाद ये बहस शुरू हो गई थी कि क्या जघन्य अपराधों में शामिल किशोरों को भी कम उम्र का लाभ दिया जा सकता है, इसको लेकर महिला और बाल कल्याण मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट बिल सार्वजनिक किया था जिसको लेकर 2200 से ज्यादा सुझाव आए। अब सरकार इस कानून में बदलाव की तैयारी में है।
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