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This Article is From Oct 06, 2015

25 साल पहले भारत के मंदिर से चुराई गई दुर्गा की मूर्ति को जर्मनी ने लौटाया

25 साल पहले भारत के मंदिर से चुराई गई दुर्गा की मूर्ति को जर्मनी ने लौटाया
पीएम मोदी और एंजेला मर्केल
नई दिल्ली: जर्मनी ने जम्मू-कश्मीर से दो दशक पहले लापता हुई दसवीं शताब्दी की दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटा दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का आभार व्यक्त किया। जम्मू-कश्मीर के एक मंदिर से लापता हुई यह मूर्ति जर्मनी के एक संग्रालय में पाई गई थी।

पीएम मोदी ने किया धन्यवाद
भारत की यात्रा पर आई जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने यहां हैदराबाद हाउस में मोदी को इस मूर्ति को सौंपा। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर से जुड़ी 10वीं सदी की महिषासुर मर्दिनी अवतार वाली दुर्गा प्रतिमा को लौटाने के लिए भी मर्केल और जर्मनी की जनता का शुक्रिया अदा किया। संयुक्त प्रेस वक्तव्य के बाद मर्केल ने मोदी को प्रतिमा सौंपी।

दसवीं शताब्दी की दुर्गा की यह मूर्ति मर्हिषासुरमर्दिनी अवतार में है। संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने मर्केल और जर्मनी के लोगों का इसे भारत को लौटाए जाने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, यह (दुर्गा) बुराई पर विजय का प्रतीक है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मर्हिषासुरमर्दिनी को 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के एक मंदिर से चुरा लिया गया था। इस संदर्भ में एक एफआईआर दर्ज की गई थी।

वर्ष 2012 में एएसआई को खबर मिली कि यह मूर्ति जर्मनी के स्टटगार्ट के लिंडेल संग्रहालय में देखी गई है। इसके बाद केन्द्र सरकार ने इस वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की और पिछले साल इस सिलसिले में एएसआई के दो अधिकारियों ने स्टटगार्ट का दौरा भी किया।

इस मूर्ति के भारत का होने के साक्ष्य के रूप में एफआईआर को पेश किया गया और सरकार ने जर्मनी के संबंधित प्राधिकार के समक्ष इस मामले को रखा।

मू्र्ति चोरी के पीछे कुख्यात सौदागर सुभाष कपूर का हाथ
ऐसा संदेह है कि इस मूर्ति की विदेश में तस्करी किए जाने में भारतीय कलाकृतियों के कुख्यात सौदागर सुभाष कपूर का हाथ है। कपूर को 2011 में जर्मनी में गिरफ्तार किया गया था।

जर्मनी ने बातचीत में भारत की सौर परियोजनाओं के लिए एक अरब यूरो की सहायता प्रदान करने की घोषणा की। जर्मन भाषा को भारत में एक विदेशी भाषा के तौर पर और आधुनिक भारतीय भाषाओं के जर्मनी में प्रचार के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और जर्मनी के संघीय विदेश कार्यालय के बीच एक संयुक्त सहमति घोषणापत्र पर दस्तखत भी किए गए, जो आज हुए 18 समझौतों में शामिल है। इस करार को भारत में जर्मन भाषा विवाद के समाधान के तौर पर देखा जा रहा है।

दोनों नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर रकी हुई बातचीत को आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की।

मोदी और मर्केल की बैठक का ब्योरा
मोदी और मर्केल ने आतंकवाद और उग्रवाद के बढ़ते खतरे और इनकी वैश्विक पहुंच को लेकर अपनी चिंता साझा की तथा इन चुनौतियों से निपटने के मकसद से सामूहिक सहयोग के लिए सहमत हुए। उन्होंने दोनों पक्षों के बीच आतंकवाद निरोधक कार्रवाई पर संयुक्त कार्यसमूह की बैठकें आयोजित करने का फैसला किया।

एक संयुक्त बयान में कहा गया कि जर्मनी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वासेनार समझौते जैसी अनेक निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं के साथ भारत के तेज होते सहयोग का स्वागत करता है।

दोनों पक्षों ने इन व्यवस्थाओं में पूर्ण सदस्य के तौर पर भारत को शामिल किये जाने और इस तरह वैश्विक परमाणु अप्रसार प्रयासों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करते रहने की रजामंदी जताई।

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