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नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां आए लोगों को संबोधित किया. लेकिन भाषण की शुरुआत में उन्होंने सबसे पहले जानकी माता को याद किया और जय सिया राम का नारा दिया. इस नारे के साथ उनकी पार्टी बीजेपी की ने भी एक अहम पड़ाव तय कर लिया है.. 90 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा के दम पर 2 सीटों से 85 सीटों तक पहुंची बीजेपी का एक समय प्रमुख नारा 'जय श्री राम' था. इस नारे में आक्रमकता थी जिसने उस समय के युवाओं को खूब लुभाया था. लेकिन इसकी वजह से आरएसएस, बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद की आलोचना भी होती थी. लोगों का आज भी मानना है कि भारतीय जानमानस में एक दूसरे को अभिवादन के लिए जय सिया राम बोला जाता है और यह भगवान राम के चरित्र से मेल खाता है. लेकिन बीजेपी और इससे जुड़े संगठन आपने फायदे के लिए नारे को जय श्री राम में बदल दिया है.
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आपको बता दें साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव एक रैली में पीएम मोदी ने जय श्री राम का नारा लगाया था. उस समय भी उनकी यह कहकर आलोचना की गई थी कि वह चुनाव में ध्रुवीकरण कराने के लिए इस नारे का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन आज के भाषण में पीएम मोदी के रुख में थोड़ा परिवर्तन था और उन्होंने यह तो जरूर कहा का इस जिस बात का सदियों से इंतजार हो रहा था उसे आज पूरा किया जा रहा है. इस मौके पर राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए कहा कि इसमें संघर्ष और समपर्ण था, फिर इसके बाद उन्होंने राम मंदिर निर्माण को विकास जोड़ दिया. पीएम मोदी ने साफ संदेश देने की कोशिश की अब यह मुद्दा अहम पड़ाव की ओर पहुंच चुका है और इसमें अब कोई आक्रमकता की जगह नहीं रह गई है.
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पीएम मोदी ने कहा कि श्री राम की मर्यादा को याद करते हुए कहा कि यह कोरोना की वजह से यह कार्यक्रम भी मर्यादाओं से बंधा है और हमें इसका पालन करना है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाले दिन पूरे देश में मर्यादा दिखाई थी उसी तरह आज भी ऐसा ही करना है. कुल मिलाकर पीएम मोदी की ओर से साफ संदेश दे दिया गया है कि राम मंदिर के लिए आज के हुए कार्यक्रम के बाद अब इस मुद्दे को बहुत ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है और उनकी सरकार अब मुख्य एजेंडा विकास है.