यह 81 वर्षीय ऑनलाइन गणित शिक्षिका अंबुजा अय्यर की कहानी है. भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी, अंबुजा अय्यर एक गणित शिक्षिका हैं, जिन्हें लगभग 50 हजार छात्रों को पढ़ाने का अनुभव है. जब गणित पढ़ाने की बात हो तो अय्यर एक जादुई शिक्षिका हैं. उनके जैसे लोग एक प्रेरणास्रोत हैं, वह विनम्र तथा सरल हैं और इसलिए पढ़ाती हैं क्योंकि यह उनका पसंदीदा काम है और वह भी बदले में बिना किसी अपेक्षा के, सिवाय लोगों की भलाई की सोच रखे हुए. एक सच्ची शिक्षाविद्! इस उम्र में उनकी ऊर्जा को सलाम है - जहां हम में से कई 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने के बारे में सोच रहे हैं और कई युवा शिक्षक ऑनलाइन कक्षाओं के लेकर संघर्षरत हैं, लेकिन वह उसी लगन और उत्साह के साथ ऑनलाइन कक्षाओं को चला रही हैं जैसा वो 50 साल पहले किया करती थीं.
अंबुजा अय्यर ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि जब मैंने देखा कि लॉकडाउन में शिक्षक गणित को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तो मैंने सोचा कि मुझे कुछ उपयोगी टिप्स और कुछ अच्छी सामग्री भी तैयार करके उनके साथ साझा करनी चाहिए. मैंने व्हाट्सऐप पर 50 गणित शिक्षकों के साथ एक मैथफोरम की शुरुआत की और मैंने गणित शिक्षकों को सलाह देना शुरू कर दिया. समूह में हमने सामग्री को भी साझा करना शुरू किया. गणित के शिक्षक बहुत खुश थे क्योंकि उन्हें इससे बहुत आत्मविश्वास मिला था. आज हमारे ग्रुप में कोई 200 सदस्य हैं. फिर मैंने छठी से दसवीं कक्षा के लिए ऑनलाइन गणित पढ़ाना भी शुरू कर दिया, जहां मैंने गणित के शिक्षकों को टिप्स देना शुरू किया कि उन्हें ऑनलाइन शिक्षण के लिए गणित की दिलचस्प सामग्री कैसे तैयार करनी चाहिए. मैं दो घंटे की साप्ताहिक ऑनलाइन गणित कोचिंग चलाती हूं जिसमें शिक्षक भी परस्पर बातचीत करते हैं. मैंने अपना YouTube चैनल भी शुरू किया है जिसमें मैं वीडियो लेसन साझा करती हूं. यह सब नि:शुल्क किया जाता है.
उन्होंने आगे कहा कि “आज यूएई (ज्यादातर दुबई से), संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और हां, हमारे देश से बहुत सारे शिक्षक मेरे साथ जुड़े हुए हैं. मैं छात्रों को गणित के भय से बाहर निकलने में मदद करना चाहती हूं और साथ ही ऐसे शिक्षकों की भी मदद करना चाहती हूं जिन्हें अचानक ऑनलाइन पढ़ाना एक बड़ी चुनौती लग रही है. मुझे लगता है कि ऑनलाइन या ऑफलाइन पढ़ाने में बहुत अंतर नहीं है, गणित वही रहता है लेकिन अगर शिक्षकों को दिलचस्प सामग्री बनाने के लिए मदद मिलती है, तो वे आत्मविश्वास हासिल करते हैं.” गणित पढ़ाना किसी भी सीमा से परे है, यह दुनिया भर में समान है. मेरे लिए पढ़ाना वर्ग, जाति, पंथ या रंग से परे है. कई गरीब छात्र गणित सीखने के लिए मेरे पास आते हैं. यह उनकी आंखों में दिखने वाली आशा और आकांक्षा है जो मुझे उन्हें सिखाने के लिए प्रेरित करती है. और इस वैश्विक महामारी के दौरान, ऑनलाइन के माध्यम से कई लोगों को पढ़ाना आसान हो गया है. गणित सिखाने और समाज को वापस देने का जुनून मुझे 80 से ज्यादा साल की उम्र में ऑनलाइन पढ़ाने के लिए प्रेरित करता है. Webex में मेरा अपना पर्सनल रूम है. मैं अन्य माध्यमों से भी पढ़ाती हूं.
उनका मानना है कि “1940 के दशक में शिक्षा किसी लड़की के लिए एक मुश्किल से पूरा होने वाला सपना था, लेकिन मेरी मां ने यह सुनिश्चित किया कि मेरे साथ ऐसा न हो. मुझे मेरी सबसे बड़ी बहन की देखरेख में भेजा गया, जो मेरी पहली शिक्षक और मार्गदर्शक बनी. उनके मार्गदर्शन और कठिन प्रयासों से मुझे सीधे कक्षा 2 में भर्ती कराया गया, जब मैं बमुश्किल ढाई वर्ष की थी! मैं समय के साथ दौड़ लगा रही थी, और इसलिए, 17 साल की उम्र में, मैंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली थी! मेरा चयन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सांइस में अध्ययन के लिए हुआ था, लेकिन दुर्भाग्यवश, जिंदगी हमेशा आपके लिए खुशवार नहीं होती है, और मैं इसका अपवाद नहीं थी. मेरे पिता के असामयिक निधन के साथ मेरे परिवार को गंभीर वित्तीय हकीकतों से रूबरू होना पड़ा. मुझे पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने की जरूरत महसूस हुई और मैंने तुरंत काम की तलाश शुरू कर दी. स्थानापन्न (सब्स्टीट्यूट) शिक्षक के रूप में उन्होंने अपनी पहली नौकरी मिली. अपनी पहली कक्षा की उनकी यादें अभी भी ताजा हैं. गणित की शिक्षिका अनुपस्थित थी, और उन्हें उन लड़कियों की एक कक्षा में जियोमेट्री पढ़ाने के लिए कहा गया, जो उनसे बहुत ज्यादा छोटी नहीं थीं. उस दिन उन्हें जो सराहना मिली, उसने एक शिक्षक के रूप में उनकी वास्तविक क्षमताओं से उन्हें अवगत कराया. वह मानती है कि यह नियति थी, कि उन्होंने जीवन भर के लिए एक शिक्षक बनने के पथ पर अपने पहले कदम बढ़ाए. वह कहती हैं कि यद्यपि वह बिना किसी विशेष प्रयास के शिक्षिका बन गई थीं, लेकिन शिक्षण की कला उनके पास अनायास ही आ गई.
अंबुजा कहती हैं, “1982 में कम्प्यूटर भारत में आए, मुझे उसी पर महारत हासिल करने की चुनौती का सामना करना पड़ा. मेरे बच्चों ने मुझे आवश्यक कम्प्यूटर प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया. अत:, मैंने बेसिक और वर्डस्टार जैसे कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से खुद को परिचित कराया. आगे सीखने के लिए उत्सुकता के चलते, मैंने प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों के लिए पुरस्कार विजेता शैक्षणिक पैकेज तैयार किए, जो आज भी उपयोग किए जाते हैं. मैंने यह सब अपने छात्रों की सुविधा के लिए किया. मेरी खासियत यह है कि मैंने कभी अपने छात्रों को किसी भी तरह का होमवर्क नहीं दिया. शिक्षकों को इस तरह से शिक्षा प्रदान करनी चाहिए, जिसमें पाठ शुरू करने से लेकर उसे दोहराने तक, सब कुछ स्कूल में हो. मैंने अपने चालीस मिनट के सत्रों का भरपूर उपयोग किया, और यह सुनिश्चित किया कि छात्र कक्षा में अपना कार्य पूरा करें. सकारात्मक फीडबैक और सराहना के रूप में प्रोत्साहन के साथ, छात्र हमेशा चमत्कार करते थे! शिक्षक जो भी सिखाता है, वह जीवन भर छात्रों की स्मृति में रहना चाहिए, जो कि श्रेष्ठ गुरुदक्षिणा है, जो कोई भी शिक्षक चाहेगा. गणित में रुचि बढ़ाना एक गणित शिक्षक के रूप में उनका मूलभूत उद्देश्य रहा है.
वह खुशी-खुशी कहती हैं कि “सौभाग्यवश मुझे ऐसी बेटियों का वरदान मिला है जिन्होंने मुझे मेरे शिक्षण कैरियर के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने मुझे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और शिक्षण के ऑनलाइन माध्यम से परिचित कराया. वह कहती हैं, "आज, मैं देश भर के सैकड़ों शिक्षकों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से प्रशिक्षित करती हूं" वह दिन में पांच घंटे कंटेंट तैयार करती हैं, खुद लिखती हैं और उसे पेशेवरों से टाइप करवाती हैं, ऐसा करने के लिए उनके पास एक टाइपिंग सहायक है. वह आगे कहती हैं कि "मैं कह सकती हूं कि एक शिक्षक के रूप में मेरा सफर उपलब्धि भरा रहा है, लेकिन मैं ऐसे नहीं कहूंगी, क्योंकि यह अभी खत्म नहीं हुआ है! मैं उम्र के 81 पढ़ाव देख चुकी हूं, और मैं अभी भी अपने समूचे शुरुआती उत्साह और उत्कंठा के साथ ही पढ़ाना जारी रखे हुई हूं.” उनका कहना है की “कई साक्षात्कारों में मुझसे पूछा गया कि आपको यह ऊर्जा कहां से मिलती है? जिसके जवाब में मैंने कहा था कि "यह गणित सिखाने के लिए मेरा जुनून है जो मुझे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करता है.''
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