सिगरेट के पैकेट पर ज्यादा बड़ी वैधानिक चेतवानी लगाने का फैसला लिया गया था
नई दिल्ली:
मार्च के महीने में सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक चेतावनी को और बड़ा करने के फैसले पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि इस काम में देरी करने के पीछे कोई वजह नज़र नहीं आ रही है। लेकिन इस बयान के दो दिन बाद ही स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बताया कि अप्रैल में तैयार होने वाले सिगरेट पैकेट के 85% हिस्से को चेतावनी से ढकने में देरी हो सकती है।
इस स्थगन की घोषणा तब हुई जब संसदीय समिति ने कहा कि देखना होगा कि इस निर्देश से तंबाकू उद्योग पर कितना और कैसा असर पड़ने वाला है। ये फैसला सार्वजनिक रूप से सामने आने से पहले एक आंतरिक नोट जारी हुआ था जो एनडीटीवी के हाथ लगा है। इस नोट में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था 'सिगरेट पर बड़ी चेतावनी लगाने से पहले इसे दूसरे मंत्रालयों और किसी की जीविका से जोड़कर देखना किसी भी तरह की कानूनी वैधता नहीं रखता है।'
स्वास्थ्य मंत्री का ये कहना गलत नहीं था क्योंकि पिछले महीने ही राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से बड़ी स्वास्थ्य चेतावनी को लगाने में देरी की वजह पूछते हुए चार हफ्ते में जवाब मांगा था। तंबाकू के पैकेट पर बड़ी तस्वीरों के साथ चेतावनी लगाने के क्रियान्वयन पर रोक लगाने वाली संसदीय समिति की अध्यक्षता बीजेपी के दिलीप गांधी कर रहे थे। गांधी के मुताबिक धूम्रपान और कैंसर के बीच किसी भी तरह के संबंध को लेकर कोई स्थानीय अध्ययन नहीं किया गया है।
समिति की रिपोर्ट दर्ज किए जाने से पहले भी गांधी ने स्वास्थ्य मंत्री को दो बार पत्र लिखकर नए आदेशों को स्थगित करने के लिए कहा था। एनडीटीवी के हाथ लगे स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेजों में पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों का ज़िक्र किया गया है जहां पहले से ही तंबाकू के पैकेट पर ज्यादा बड़ी चेतावनी छपने लगी है। वहीं इसका जवाब देते हुए दिलीप गांधी ने अपनी चिट्ठी में मलावी का उदाहरण दिया है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं कहते आए हैं कि सिगरेट के पैकेट पर बड़ी स्वास्थ्य चेतावनी से भारत में धूम्रपान कम हो सकता है। यहां हर साल तंबाकू से जुड़ी बीमारियों की वजह से करीब 9 लाख लोगों की मौत होती है। स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने इन नए नियमों का सार्वजनिक रूप से समर्थन ही किया है लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि संसदीय समिति की अंतिम रिपोर्ट पेश करने के बाद ही इन्हें लागू किया जा सकता है, फिलहाल इसके लिए किसी भी तरह की अंतिम तारीख तय नहीं की गई है।
इस स्थगन की घोषणा तब हुई जब संसदीय समिति ने कहा कि देखना होगा कि इस निर्देश से तंबाकू उद्योग पर कितना और कैसा असर पड़ने वाला है। ये फैसला सार्वजनिक रूप से सामने आने से पहले एक आंतरिक नोट जारी हुआ था जो एनडीटीवी के हाथ लगा है। इस नोट में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था 'सिगरेट पर बड़ी चेतावनी लगाने से पहले इसे दूसरे मंत्रालयों और किसी की जीविका से जोड़कर देखना किसी भी तरह की कानूनी वैधता नहीं रखता है।'
स्वास्थ्य मंत्री का ये कहना गलत नहीं था क्योंकि पिछले महीने ही राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से बड़ी स्वास्थ्य चेतावनी को लगाने में देरी की वजह पूछते हुए चार हफ्ते में जवाब मांगा था। तंबाकू के पैकेट पर बड़ी तस्वीरों के साथ चेतावनी लगाने के क्रियान्वयन पर रोक लगाने वाली संसदीय समिति की अध्यक्षता बीजेपी के दिलीप गांधी कर रहे थे। गांधी के मुताबिक धूम्रपान और कैंसर के बीच किसी भी तरह के संबंध को लेकर कोई स्थानीय अध्ययन नहीं किया गया है।
समिति की रिपोर्ट दर्ज किए जाने से पहले भी गांधी ने स्वास्थ्य मंत्री को दो बार पत्र लिखकर नए आदेशों को स्थगित करने के लिए कहा था। एनडीटीवी के हाथ लगे स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेजों में पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों का ज़िक्र किया गया है जहां पहले से ही तंबाकू के पैकेट पर ज्यादा बड़ी चेतावनी छपने लगी है। वहीं इसका जवाब देते हुए दिलीप गांधी ने अपनी चिट्ठी में मलावी का उदाहरण दिया है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं कहते आए हैं कि सिगरेट के पैकेट पर बड़ी स्वास्थ्य चेतावनी से भारत में धूम्रपान कम हो सकता है। यहां हर साल तंबाकू से जुड़ी बीमारियों की वजह से करीब 9 लाख लोगों की मौत होती है। स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने इन नए नियमों का सार्वजनिक रूप से समर्थन ही किया है लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि संसदीय समिति की अंतिम रिपोर्ट पेश करने के बाद ही इन्हें लागू किया जा सकता है, फिलहाल इसके लिए किसी भी तरह की अंतिम तारीख तय नहीं की गई है।
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