नई दिल्ली:
लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की लेकिन विपक्षी भाजपा और सरकार को बाहर से समर्थन कर रही सपा ने व्यापक विचार-विमर्श की मांग करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह चुनावों को ध्यान में रखकर यह विधेयक ला रही है।
बहुप्रतीक्षित खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के मुरली मनोहर जोशी ने इस विधेयक को वोट सुरक्षा विधेयक’ करार देते हुए कहा कि सरकार एक योजना के तहत कमी’ पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाये रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके।
जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनाएगी लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लाई है और ऐसे समय में लाई है जब उसके सत्ता से जाने का समय आ गया है।
खाद्य सुरक्षा के लिए भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़’ का मॉडल अपनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, भूख किसी एक पार्टी, समुदाय या वर्ग से संबंधित नहीं होती है, भूख की ज्वाला तेज होने पर इसका असर सभी जगहों पर देखने को मिलता है। लेकिन यह सरकार गरीबों की सही संख्या बताने को तैयार नहीं है। यह जरूरी है कि संसद से गरीबों की सही तस्वीर पेश हो।’ उधर, विधेयक को इतिहास बनाने का अवसर’ बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी दलों से पुरजोर अपील की कि वे आपसी मतभेदों को भुलाकर इस विधेयक को कानून की शक्ल लेने में सहयोग करें। उन्होंने कहा, यह एक बड़ा संदेश देने का समय है कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है।’
कुछ दलों द्वारा विधेयक के प्रावधानों और इसे लागू करने के लिए भारी बजटीय आवंटन की जरूरत को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में सोनिया गांधी ने कहा, कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास साधन हैं? सवाल यह नहीं है कि हमारे पास साधन हैं या नहीं। सवाल साधनों का नहीं है। साधन जुटाने ही होंगे।’
बहुप्रतीक्षित खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के मुरली मनोहर जोशी ने इस विधेयक को वोट सुरक्षा विधेयक’ करार देते हुए कहा कि सरकार एक योजना के तहत कमी’ पैदा कर रही है ताकि लोगों को गरीब और भूखा बनाये रख कर उनका एकमात्र हमदर्द बनने का दावा कर सके।
जोशी ने कहा कि 2009 में राष्ट्रपति के अभिभाषण में कहा गया था कि सभी को अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार कानून बनाएगी लेकिन सत्ता में आने के साढ़े चार साल बाद सरकार एक आधा अधूरा विधेयक लाई है और ऐसे समय में लाई है जब उसके सत्ता से जाने का समय आ गया है।
खाद्य सुरक्षा के लिए भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़’ का मॉडल अपनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, भूख किसी एक पार्टी, समुदाय या वर्ग से संबंधित नहीं होती है, भूख की ज्वाला तेज होने पर इसका असर सभी जगहों पर देखने को मिलता है। लेकिन यह सरकार गरीबों की सही संख्या बताने को तैयार नहीं है। यह जरूरी है कि संसद से गरीबों की सही तस्वीर पेश हो।’ उधर, विधेयक को इतिहास बनाने का अवसर’ बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी दलों से पुरजोर अपील की कि वे आपसी मतभेदों को भुलाकर इस विधेयक को कानून की शक्ल लेने में सहयोग करें। उन्होंने कहा, यह एक बड़ा संदेश देने का समय है कि भारत अपने सभी देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठा सकता है।’
कुछ दलों द्वारा विधेयक के प्रावधानों और इसे लागू करने के लिए भारी बजटीय आवंटन की जरूरत को लेकर उठाए गए सवालों के जवाब में सोनिया गांधी ने कहा, कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि क्या हमारे पास साधन हैं? सवाल यह नहीं है कि हमारे पास साधन हैं या नहीं। सवाल साधनों का नहीं है। साधन जुटाने ही होंगे।’
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