लखनऊ में जिला प्रशासन की रोक के बावजूद रैली करने वाले बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
रैली में शामिल बीजेपी नेता लालजी टंडन, जगदंबिका पाल, लल्लू सिंह, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। इन लोगों पर धारा 144 तोड़ने और चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है। जिले के डीएम ने मुंशी पुलिया में बिना इजाजत के की गई रैली का वीडियो फुटेज और मामले की बाकी जानकारियां चुनाव आयोग को भेजा है।
इससे पहले, बुधवार शाम को लखनऊ में जिला प्रशासन की रोक के बावजूद सांसद योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी की रैली में हिस्सा लिया। लखनऊ के मुंशी पुलिया चौराहे पर बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ अपने पूरे दलबल के साथ पहुंचे और आरोप लगाया कि राज्य सरकार के इशारों पर उन्हें रैली से रोका गया।
योगी ने कहा, उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र खतरे में है। प्रशासन ने सुबह से ही परेशान करके रखा हुआ है। सरकार हमारे पीछे पड़ी हुई है। पहले ठाकुरद्वारा में कार्यक्रम करने से रोका गया, फिर मैनपुरी में। लखीमपुर खीरी में भी हमें सभा करने से रोका गया। लखनऊ में भी हमारी रैली पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
उन्होंने कहा कि यूपी में लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। यूपी में लोकतंत्र लगाने के लिए सूबे के एक परिवार की सरकार को उखाड़ फेंकना होगा। उपचुनाव का मतदान ही इस सरकार का भविष्य तय करेगा। योगी ने कहा, यूं तो उपचुनाव का खास प्रभाव केंद्र के साथ ही राज्य सरकार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन यदि बीजेपी विजयी हुई, तो यूपी में परिवारवाद की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव से पहले बीजेपी को टकराव की यह राजनीति खूब रास आ रही है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भी दिया था, जिसका उन्होंने 24 घंटे के भीतर जवाब दे दिया।
लव जेहाद का डर दिखाने वाले योगी आदित्यनाथ सांप्रदायिक राजनीति के लिए समाजवादी पार्टी को जिम्मेदार बता रहे हैं, जबकि बीएसपी का आरोप है कि यह सपा और बीजेपी की नूरा कुश्ती है। फिलहाल राज्य सरकार के सामने अब इस रैली की पाबंदी तोड़ने पर कार्रवाई की चुनौती है।
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