किसान कानून: बीजेपी की ओर से पुराने पत्र सामने लाने के बाद NCP प्रमुख शरद पवार ने दी यह सफाई...

पवार की एनसीपी और कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलर को समर्थन दिया है. किसानों को डर है कि इन तीनों कानूनों को आने से उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा.

किसान कानून: बीजेपी की ओर से पुराने पत्र सामने लाने के बाद NCP प्रमुख शरद पवार ने दी यह सफाई...

शरद पवार ने कृषि मंत्री रहते हुए अपने पत्र के मामले में स्‍पष्‍टीकरण दिया है

खास बातें

  • कहा, तीनों कानूनों में एपीएमसी का जिक्र नहीं है
  • बीजेपी लोगों का ध्‍यान भटकाने की कोशिश कर रही
  • बीजेपी ने पत्र का हवाला देकर पवार पर साधा था निशाना
नई दिल्ली:

Farmers Protest: महाराष्‍ट्र और देश के वरिष्‍ठ नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने मंगलवार को आपने उस पुराने लेटर को लेकर स्‍पष्‍टीकरण दिया जो उन्‍होंने केंद्र की यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहते हुए लिखा था. इस पत्र में कृषि सेकटर में सुधारों की बात कही गई थी. कृषि कानूनों (Farm Law)के मामले में किसानों के आंदोलन का सामना कर रही सत्‍तारूढ़ बीजेपी (BJP) ने इस मामले में शरद पवार और अन्‍य विपक्षी नेताओं पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि शरद पवार ने केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए शीला दीक्षित (दिल्‍ली) और शिवराज सिंह चौहान (मध्‍य प्रदेश) जैसे मुख्‍यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे अपने राज्‍यों में एग्रीकल्‍चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी  (APMC) एक्‍ट में संशोधन के लिए लिखा था. इस लेटर के ऑनलाइन जारी हाने के बाद बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे पर पवार पर निशाना साधा है. 

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इस मामले में सफाई देते हुए पवार ने कहा है, 'मैंने कहा था APMC में सुधार की जरूरत है. APMC एक्‍ट जारी रहना चाहिए लेकिन कुछ सुधारों के साथ. इसमें कोई संदेह नहीं है कि मैंने पत्र लिखा था लेकिन उनके तीन कानूनों में APMC का भी जिक्र नहीं है. वे केवल लोगों का ध्‍यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, इसे ज्‍यादा महत्‍व देने की जरूरत नहीं है. नेशनलिस्‍ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख ने कहा कि कुछ विपक्षी पार्टियों इस मामले में सामूहिक पहल करते हुए यह बात राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद को बताएंगे. पवार ने कहा, 'कल विभिन्‍न राजनीतिक पार्टियों के पांच-छह लोग साथ बैठे और सामूहिक रुख (collective stand)के बारे में विचार करेंगे. हमारा शाम पांच बजे राष्‍ट्रपति से मिलने का कार्यक्रम है. हम अपना सामूहिक रुख उनके सामने रखेंगे.'गौरतलब है कि पवार की एनसीपी और कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलर को समर्थन दिया है. इन पार्टियों ने मंगलवार के भारत बंद को भी समर्थन दिया है.किसानों को डर है कि इन तीनों कानूनों को आने से उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा और वे बड़े कारपोरेट घरानों की 'दया' पर निर्भर होकर रह जाएंगे.

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गौरतलब है कि बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने सोमवार को किसानों से जुड़े मामले में गैर बीजेपी दलों पर‍ निशाना साधा था. उन्‍होंने कहा था कि कृषि कानूनों (Farm Law) का विरोध कर रहे कि किसान आंदोलन के नेताओँ ने साफ कहा है कि सियासी दलों के नेता हमारे मंच पर न आएं. लेकिन ये इसके बावजूद ये कूद रहे हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा था, 'आज जो हमारी सरकार ने किया, यूपीए के दस साल में ये लोग यही कर रहे थे. अपने राज्यों में कर रहे थे. मैं डॉक्यूमेंट्स दिखाकर यह साबित कर सकता हूं. कांग्रेस ने वर्ष 2019 के अपने लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र के पेज नंबर 17 के प्‍वाइंट 11 में कहा था कि Congress will repeal APMC act and will make inter state trade free of restrictions यानी कांग्रेस APMC को हटाएगी और इंटर स्‍टेट व्‍यापार को फ्री करने का काम करेगी.

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प्रसाद ने कहा था कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) भी अभी विरोध कर रहे हैं. लेकिन जब वे कृषि मंत्री थे तो उन्‍होंने सारे सीएम को चिट्ठी लिखी थी. दो चिट्ठी दिखा रहा हूं, एक शीला दीक्षित को लिखी, दूसरी शिवराज सिंह चौहान को लिखी. इसमें लिखा है कि कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर निवेश चाहिए, इसके लिए निजी निवेश जरूरी है. इसमें मंडी कानून में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया गया था. प्रसाद के अनुसार, शरद पवार ने शेखर गुप्ता को इंटरव्यू दिय़ा था, इसमें भी कहा था कि APMC एक्‍ट छह महीने में खत्म हो जाएगा. रविशंकर प्रसाद के अनुसार, इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)के भी कुछ बयान हैं. 2013 में उन्होंने (राहुल ने) सारे सीएम की बैठक बुलाई थी, उसमें कहा था कि किसान अपनी फसल सीधे कांग्रेस शासित राज्‍यों में बेच सकते हैं  (Farmers can sale their crops directly in congress ruled states). 

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