नई दिल्ली:
वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर काफी समय से जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी लिखी है। पूर्व सैनिकों ने इस चिट्ठी की एक कॉपी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और थल सेना अध्यक्ष को भी भेजी है।
इस खत में पूर्व सैनिकों ने व्यथित होते हुए लिखा है कि ये आमरण अनशन का 14वां दिन है। अनशन पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों की तबीयत काफी बिगड़ गई है। अगर कुछ भी अनहोनी होती है तो इसके लिए भारत सरकार ज़िम्मेदार होगी, क्योंकि वो वन रैंक वन पेंशन पर अंतिम फ़ैसले में बेवजह देरी कर रही है।
दरअसल, वन रैंक-वन पेंशन मामले पर पिछले 75 दिनों से पूर्व सैनिकों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन जारी है और कई पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर भी हैं, जिसमें कुछ की हालत बिगड़ने पर सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों ने वन रैंक-वन पेंशन के ऐलान न होने पर 1965 जंग की जीत के स्वर्ण जयंती समारोह में न शामिल होने का फ़ैसला किया था। इससे पहले 15 अगस्त को भी पूर्व सैनिकों ने पीएम के भाषण में वन रैंक-वन पेंशन के ऐलान की उम्मीद जताई थी, लेकिन ऐसा न होने पर आंदोलन और तेज़ हो गया।
इस मसले पर कोई समाधान न निकलता देख आंदोलनरत सैनिकों में काफी निराशा और गुस्सा भी देखने को मिल रहा है। हालांकि इसी बीच सरकार ने संकेत दिया है कि इस मामले का जल्द हल आ सकता है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मामले को देख रहे हैं और इसका हल जल्द ही होने की संभावना है।
इस खत में पूर्व सैनिकों ने व्यथित होते हुए लिखा है कि ये आमरण अनशन का 14वां दिन है। अनशन पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों की तबीयत काफी बिगड़ गई है। अगर कुछ भी अनहोनी होती है तो इसके लिए भारत सरकार ज़िम्मेदार होगी, क्योंकि वो वन रैंक वन पेंशन पर अंतिम फ़ैसले में बेवजह देरी कर रही है।
दरअसल, वन रैंक-वन पेंशन मामले पर पिछले 75 दिनों से पूर्व सैनिकों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन जारी है और कई पूर्व सैनिक आमरण अनशन पर भी हैं, जिसमें कुछ की हालत बिगड़ने पर सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों ने वन रैंक-वन पेंशन के ऐलान न होने पर 1965 जंग की जीत के स्वर्ण जयंती समारोह में न शामिल होने का फ़ैसला किया था। इससे पहले 15 अगस्त को भी पूर्व सैनिकों ने पीएम के भाषण में वन रैंक-वन पेंशन के ऐलान की उम्मीद जताई थी, लेकिन ऐसा न होने पर आंदोलन और तेज़ हो गया।
इस मसले पर कोई समाधान न निकलता देख आंदोलनरत सैनिकों में काफी निराशा और गुस्सा भी देखने को मिल रहा है। हालांकि इसी बीच सरकार ने संकेत दिया है कि इस मामले का जल्द हल आ सकता है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस मामले को देख रहे हैं और इसका हल जल्द ही होने की संभावना है।
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