बिहार के समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर 2 जनवरी, 1975 को तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या से संबंधित मामले में दिल्ली की एक अदालत द्वारा सोमवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है।
जिला न्यायाधीश विनोद गोयल ने 12 सितंबर को इस हत्याकांड में सीबीआई और इस हत्याकांड के चारों अभियुक्तों के वकीलों की दलीलें सुनने की कार्यवाही पूरी की थी। अदालत ने कहा था कि इस मामले में 12 नवंबर को फैसला सुनाया जाएगा, लेकिन बाद में इसे 8 दिसंबर के लिए स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि निर्णय तैयार नहीं हो सका था।
यह मामला 2 जनवरी, 1975 को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर एक समारोह के दौरान हुए बम विस्फोट से संबंधित है। तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा इस समारोह में शामिल होने आए थे। विस्फोट में जख्मी मिश्रा की अगले दिन मृत्यु हो गई थी।
इस हत्याकांड के मुकदमे की सुनवाई के दौरान 200 से अधिक गवाहों से पूछताछ हुई। इसमें अभियोजन पक्ष के 161 और बचाव पक्ष के 40 से अधिक गवाह शामिल थे। हत्याकांड में आरोपी वकील रंजन द्विवेदी को 24 साल की उम्र में आनंद मार्ग समूह के चार सदस्यों के साथ आरोपी बनाया गया था। द्विवेदी के अलावा इस मामले में संतोषानंद अवधूत, सुदेवानंद अवधूत और गोपालजी अभियुक्त हैं। एक अभियुक्त की मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो गई थी।
इससे पहले, अभियुक्तों ने मुकदमे का निबटारा होने में अत्यधिक विलंब के आधार पर सारी कार्यवाही निरस्त करने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने ही 17 अगस्त, 2012 को इनकी याचिका खारिज करते हुए कहा था कि 37 साल से मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं हो जाने के आधार पर कार्यवाही निरस्त नहीं की जा सकती है।
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