चुनाव आयोग में 50 साल काम कर चुके पूर्व कानूनी सलाहकार एस के मेंदीरत्ता (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग में 50 साल काम कर चुके पूर्व कानूनी सलाहकार एस के मेंदीरत्ता ने कहा है कि चुनाव आयोग भले ही समय पर नई ईवीएम मशीनों और वीवीपैट को ले आने की बात कर रहा हो लेकिन जिन दो कंपनियों को ये मशीनें बनाने का ठेका दिया गया है वह सुस्त रही हैं. मेंदीरत्ता ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा कि कभी भी इन दोनों कंपनियों ने वक्त पर डिलीवरी नहीं दी है और इनके काम में देरी होती रही है. सूचना अधिकार कानून से मिली जानकारी के हवाले से अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक आयोग इस साल जून तक केवल 22 प्रतिशत वीवीपैट ही हासिल कर पाया था. आयोग ने दो सरकारी कंपनियों BEL और ECIL को 16.15 लाख वीवीपैट बनाने दो कहा था. हालांकि इस ख़बर के बाद चुनाव आयोग ने बयान जारी कर कहा कि ईवीएम और वीवीपैट वक्त पर आ जाएंगी.
एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, "ये सच है कि इलेक्ट्रॉनिक मशीनों और वीवीपैट की डिलीवरी में देरी हुई है. लेकिन नवंबर तक सारी वीवीपैट मशीनें डिलीवर हो जाएंगी, केवल 1.5 महीने की देरी होगी. दो कंपनियों को जिम्मेदारी दी गई है. इनमें से एक कंपनी 7 नवंबर और दूसरी 15 नवंबर तक मशीनें डिलीवर कर देगी."
चुनाव आयोग ने भविष्य के सभी चुनावों में वीवीपीएटी मशीनें इस्तेमाल करने का दिय औपचारिक निर्देश
हालांकि चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार एस के मेंदीरत्ता ने कहा, ''चुनाव आयोग भले ही कह रहा हो लेकिन वीवीपैट बनाने की जिम्मेदारी जिन कंपनियों के नाम है उनका रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. मेंदीरत्ता ने कहा कि उन्हें याद है कि ECIL को जब काम दिया जाता तो कुछ वक्त बाद उनके अधिकारी कहते कि हम वक्त पर डिलीवरी नहीं दे पाएंगे. कई बार उनके हिस्से का काम हमने BEL को दिया.''
एक ऐसी मशीन जिससे EVM पर शक करने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी बाकी
1964 से चुनाव आयोग में काम कर रहे मेंदीरत्ता तब से अब तक सारे चुनाव कराये हैं और वह आयोग को अहम कानूनी सलाह देते रहे हैं. मेंदीरत्ता ने कहा कि आयोग के पास वक्त बहुत कम है क्योंकि 2019 के चुनावों के लिये हमें याद रखना चाहिये कि 22 लाख लोगों को नई मशीनों और वीवीपैट की ट्रेनिंग देनी होगी और इसमें वक्त लगेगा.
VIDEO: समय से पहले आम चुनाव मुश्किल, VVPAT की डिलीवरी में देरी
ईवीएम को लेकर विपक्षी पार्टियों ने बार-बार सवाल उठाये हैं और बैलेट से वोटिंग की बात की है. मेंदीरत्ता ने कहा कि उनकी राय में ईवीएम बिल्कुल सुरक्षित हैं लेकिन इसके साथ वीवीपैट मशीन लगने से लोगों में भरोसा जगता है और आयोग को हर हाल में हर मशीन के साथ वीवीपैट लगा कर चुनाव कराने का वादा पूरा करना चाहिये क्योंकि ये हलफनामा उन्होंने अदालत में भी दिया है.
एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा, "ये सच है कि इलेक्ट्रॉनिक मशीनों और वीवीपैट की डिलीवरी में देरी हुई है. लेकिन नवंबर तक सारी वीवीपैट मशीनें डिलीवर हो जाएंगी, केवल 1.5 महीने की देरी होगी. दो कंपनियों को जिम्मेदारी दी गई है. इनमें से एक कंपनी 7 नवंबर और दूसरी 15 नवंबर तक मशीनें डिलीवर कर देगी."
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हालांकि चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार एस के मेंदीरत्ता ने कहा, ''चुनाव आयोग भले ही कह रहा हो लेकिन वीवीपैट बनाने की जिम्मेदारी जिन कंपनियों के नाम है उनका रिकॉर्ड अच्छा नहीं है. मेंदीरत्ता ने कहा कि उन्हें याद है कि ECIL को जब काम दिया जाता तो कुछ वक्त बाद उनके अधिकारी कहते कि हम वक्त पर डिलीवरी नहीं दे पाएंगे. कई बार उनके हिस्से का काम हमने BEL को दिया.''
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1964 से चुनाव आयोग में काम कर रहे मेंदीरत्ता तब से अब तक सारे चुनाव कराये हैं और वह आयोग को अहम कानूनी सलाह देते रहे हैं. मेंदीरत्ता ने कहा कि आयोग के पास वक्त बहुत कम है क्योंकि 2019 के चुनावों के लिये हमें याद रखना चाहिये कि 22 लाख लोगों को नई मशीनों और वीवीपैट की ट्रेनिंग देनी होगी और इसमें वक्त लगेगा.
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