इंडिया गठबंधन में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. गठबंधन की बागडोर के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर मतभेद सामने आ गए हैं. नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने भी इस मुद्दे को आधारहीन बताया है. बनर्जी ने कहा कि अगर ईवीएम में कोई कमी है तो उसे सबूतों के साथ चुनाव आयोग को दिखाना चाहिए.
अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘‘यह मेरी निजी राय है कि जो लोग ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें निर्वाचन आयोग को इसकी विसंगतियों का प्रदर्शन करना चाहिए. उन्हें निर्वाचन आयोग को कोई वीडियो (सबूत के तौर पर) दिखाना चाहिए.''
इससे पहले उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि कांग्रेस ईवीएम की विश्वसनीयता पर तभी सवाल उठाती है, जब वह हार जाती है. उन्होंने कहा है कि चुनाव हारने पर ईवीएम को दोष देना गलत है. कांग्रेस को यथार्थ को समझना चाहिए और जनादेश को स्वीकार करना चाहिए.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जब चुनाव जीतती है, तो इस मुद्दे पर शांत रहती है, तब ईवीएम पर सवाल नहीं उठाया जाता, लेकिन जब चुनाव हारती है, तो ईवीएम पर सवाल उठाने लगती है. उसका यह दोहरा रवैया उचित नहीं है. उन्होंने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि एक तरफ आप चुनाव में भाग भी लेते हैं और दूसरी तरफ ई्वीएम को गलत ठहराते हैं. कांग्रेस का यह रवैया गलत है. उसे एक स्टैंड लेना होगा.
वहीं उमर अब्दुल्ला के बयान पर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपने तथ्यों की जांच करनी चाहिए. लोकसभा में पार्टी के सचेतक टैगोर ने ये सवाल भी किया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उमर का अपने सहयोगी दलों के प्रति ऐसा रवैया क्यों है?
टैगोर ने अब्दुल्ला के बयान का वीडियो सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर रिपोस्ट करते हुए कहा, ‘‘यह समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना (उबाठा) हैं, जिन्होंने ईवीएम के खिलाफ बात की है. मुख्यमंत्री अमर अब्दुल्ला, कृपया अपने तथ्यों की जांच करें.''
उन्होंने ईवीएम के मुद्दे पर कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के एक प्रस्ताव को भी साझा किया और कहा कि इसमें निर्वाचन आयोग को इस मामले पर स्पष्ट रूप से संबोधित किया गया है. टैगोर ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने सहयोगियों के प्रति यह रवैया क्यों?''
अब्दुल्ला के बयान से उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस की कांग्रेस के प्रति नाराजगी जाहिर होती है. दोनों दलों ने जम्मू कश्मीर में सितंबर में हुए विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया था.
नेशनल कांफ्रेंस के पदाधिकारियों ने निजी तौर पर कहा है कि कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान अपना पूरा जोर नहीं लगाया और सारा भार उनकी पार्टी (नेकां) पर आ गया. फिर भी, 90 सदस्यीय जम्मू कश्मीर विधानसभा में उनकी पार्टी ने 42 सीट जीतीं जबकि कांग्रेस को केवल छह सीट मिलीं.
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