अब टेक होम सैलरी हो सकती है कम, पूरे वेतन से तय होगा पीएफ

नई दिल्ली:

सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में अंशदान की कटौती के लिए वेतन में सभी भत्तों को शामिल करने का प्रस्ताव किया है। इसके लागू होने से संगठित क्षेत्र के नियोक्ताओं के साथ-साथ कर्मचारियों को इस योजना में ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है। इस संबंध में तैयार विधेयक के मसौदे में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के अंशदान के आकलन के उद्देश्य से वेतन की नई परिभाषा प्रस्तावित की गई है। इसके तहत वेतन में मूल वेतन और भत्तों को शामिल किया जाएगा।

फिलहाल, भविष्य निधि देनदारी का आकलन कर्मचारियों के मूल पगार के आधार पर किया जाता है, जिसमें केवल मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते को शामिल किया जाता है। कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी ईपीएफ में योगदान करता है और उतनी ही राशि का योगदान नियोक्ता की तरह से किया जाता है। नियोक्ताओं के कुल योगदान में से 3.67 फीसदी ईपीएफ में, 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना तथा 0.5 फीसदी कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना में जाता है। कर्मचारी भविष्य निधि विविध प्रावधान कानून 1952 में संशोधन के लिए लाए जा रहे विधेयक के मसौदे के अनुसार वेतन का मतलब सभी भत्ते या परिलब्धियां हैं जिसमें कर्मचारियों को नकद में दिए जाने वाले सभी भत्ते शामिल हैं।

भारतीय मजदूर संघ तथा ईपीएफओ न्यासी बृजेश उपाध्याय ने कहा, 'नियोक्ता अपनी भविष्य निधि देनदारी कम करने के लिये कर्मचारियों के वेतन को कई भत्तों में बांट देते हैं। विधेयक में वेतन की प्रस्तावित परिभाषा से इस प्रकार की चीजों पर रोक लगेगी।' बृजेश उपाध्याय ने कहा कि श्रम मंत्रालय विधेयक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इस संबंध में त्रिपक्षीय विचार-विमर्श हुआ और ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों के प्रतिनिधियों तथा सरकारी निकायों ने अपने विचार दिए।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने नवंबर 2012 में वेतन को जोड़ने की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन उद्योग के विरोध के कारण अधिसूचना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस संबंध में एक समिति भी गठित की गई थी, जिसने वेतन के तहत दिए जाने वाले भत्तों को जोड़े जाने का समर्थन किया ताकि कर्मचारियों को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा मिल सके। उसने यह भी कहा कि श्रम मंत्रालय ने श्रमिक बैंक पर काम करने को लेकर एक समिति गठित करने का निर्णय किया है। इसका मकसद अपने सदस्यों को आसान वित्त उपलब्ध कराना तथा उसके निवेशों को प्रबंधित करना है। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने ईपीएफओ न्यासियों की 11 मार्च को हुई बैठक में समिति गठित करने के निर्णय के बारे में जानकारी दी।